मुज़फ्फरनगर के दंगे का सच और आजम खान ---!


 दंगों का फैसन 

जब-जब भारत में कहीं दंगे होते है तो आरएसएस व  उससे जुड़े संगठनो पर आरोप प्रत्यारोप लगाये जाने का फैशन सा हो गया है क्या है मुज़फ्फरनगर का दंगा कौन हैं उसके योजनाकार---? यह घटना हिन्दू युवती की छेड़-छाड़ को लेकर हुई बगल के गाव 'माजरा मलिक' बारहवीं का क्षात्र गौरव मालिक अपनी बहन के साथ जा रहा था मुस्लिम गुंडों ने घेर कर उसके साथ छेड़-छाड़ किया वहीँ बिबाद खड़ा हुआ किसी तरह वह जान बचाकर घर चला गया उसका मौसेरा भाई आया हुआ था उसे लेकर पुनः वहां आया बात-चित हो ही रही थी कि सारे मुसलमानों ने उसे घेरकर ईटा-पत्थर से दोनों भाईयों को मारडाला, इसको लेकर जाटों की पंचायत हुई पंचायत में ट्रेक्टर ट्राली व अन्य साधनों से आये हुए लोगो को गाव-गाव में मुसलमानों ने दौड़ा- दौड़ा कर मारा यहीं से दंगा शुरू हुआ की तब- तक मुसलमानों ने बहुत सारे हिन्दुओ को मार गिराया अभी तक एक सूत्र के अनुसार सरकार के पास जो सूचना है उसका जो अकड़ा है हिन्दू और मुसलमान दोनों मारे गए है हिन्दुओं का जन नुकसान अधिक हुआ है लेकिन प्रचार किया जा रहा है की मुसलमानों का नरसंहार हुआ है वास्तविकता कुछ और है. 

मस्जिदों से हथिया बरामद होने लगे 

 जब-तक हिन्दू सक्रिय हुआ तब-तक पुलिस, व अन्य फ़ोर्स आ चुकी थी गाव-गाव में हिन्दुओं ने मुसलमानों के घर फुके उससे कुछ नहीं होता जन का नुकसान तो हिन्दुओं का ही हुआ बहुत ही योजना बद्ध तरीके से अखिलेश सरकार यानी आजम खान की सरकार हिन्दुओ को समाप्त करने का काम कर रही है हिन्दू मारा भी गया उससे कोई भी नेता मिलने नहीं गया और वही अपराधी भी है, अभी-अभी जब 'आजतक' ने जो खुलासा किया उससे साफ हो गया की आजम खान ने दंगे में भूमिका निभाई आखिर जिन लोगो ने उन दो लड़कों का जान से मारडाला वे पकडे गए की नहीं यदि वे पकडे गए तो उन्हें किसने छुड़ाया इसकी जाँच होनी चाहिए केवल बीजेपी पर आरोप से काम नहीं चलेगा बीजेपी को भी इन विषयों को उठाना चाहिए, आजम खान ने योजना बद्ध तरीके मुसलमानों से हो -हल्ला मचवाया शिबिरों में हजारों मुसलमानों की संख्या भी जुटवाया, जो मस्जिदों में छापे पड़े भरी संख्या में हथियार बरामद हुए हैं, सारे के सारे सेकुलर (देश-द्रोही) नेता मुसलमानों के पास ही जा रहे हैं जैसे हिन्दू यहाँ का नागरिक ही न हो हमें यह विचार करने की आवस्यकता है की यदि किसी और देश में यह दंगा हुआ होता तो क्या वहां के मूल समाज के साथ ऐसा ब्यवहार होता ? सायद नहीं जैसे अमेरिका, रुश अथवा चीन में हो सकता क्या ?  

सरिया चाहिए तो जहाँ सरिया वहां जाय 

रुश के राष्ट्रपति ने सदन को संबोधित करते हुए कहा की जिन्हें शरियत का कानून चाहिए वे जहाँ शरियत कानून हो वहां चले जाएँ रुश में तो यहीं का कानून, भाषा व संस्कृति ही रहेगी, वर्मा के एक धर्मगुरु ने कहा हम शांति पूर्वक रहना चाहते है लेकिन पागल कुत्तों (मुसलमानों) के साथ नहीं रह सकते, क्या हम भारतीय इस पर विचार कर सकते हैं अथवा सेकुलर राजनीति के शिकार होते रहेगे यदि यही हुआ तो क्या हमारी वैभवशाली संस्कृति बच सकेगी या भारत इस्लामिक देश होगा ---?    

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3 टिप्पणियाँ

  1. मुजफ्फरनगर का दंगा किसी नयी बात का संकेत नहीं यह तो इस्लाम की नियति ही है जब-तक कुरान रहेगा तब-तक दुनिया शांति से नहीं बैठने पाएगी----!

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  2. Is tareeke ke vivadit tippani nhi karni chahie . muzaffarnagar me sirf tumhare jaise logo ne he danga karaya he sirf tumhare jaise logo ne isilie hmara aap se kahna he ki system se rho barna is desh ko ek din tumhare jaise log chaurahe par khda kr ke izzat utar kar rakh denge

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  3. अपराध और अपराधी दोनों को उत्तर प्रदेश में राज्याश्रय मिला हुआ है।आजम खान सत्ता की स्व भाविक मजबूरी है

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