आम आदमी पार्टी या नक्सलवाद का नया संस्करण ------------!

          
              आम आदमी पार्टी की बैचारिक पूंजी क्या है-? उसके नियंताओं की प्रेरक शक्ति आत्मिक है अथवा आयातित ? कटघरे मे खड़ी कांग्रेस को साथ लेकर भ्रष्टाचार के बिरुद्ध कैसे लड़ाई लड़ी जाएगी ? यहाँ प्रश्न यह रहता है कि किसी विशिष्ट आंदोलन या अभियान के पीछे फोर्ड फाउंडेशन का हेतु क्या है ? यह भी स्मरणीय है की सिविल सोसायटी आंदोलन द्वारा स्थापित वर्ल्ड सोशाल फोरम को भी फोर्ड फाउंडेशन आर्थिक सहायता देता रहा है, वामपंथी, सिविल सोसायटी संगठनो व वर्ल्ड सोशल फोरम वस्तुतः वैश्विक नव वामपंथ की गुलाबी लहर के प्रेरणा कहे जा सकते हैं। 
            बहुत लंबे अरसे से पूरे विश्व मे वामपंथियों ने अपनी सफलता के लिए बिभिन्न हथकंडे अपनाते रहे, प्रगति शील वामपंथियों ने सिविल सोसायटी का गठन किया यह केवल भारत मे हुआ ऐसा नहीं यह वैश्विक स्तर पर हुआ इससे अमेरिका भी अछूता नहीं रहा, इस्लामिक देशों मे 'मुस्लिम ब्रदरहुड' के बैनर तले प्रदर्शन शुरू हुआ कई देशों मे सत्ता परिवर्तन भी हुआ, भारत मे भी बिभिन्न जगहों पर सिविल सोसायटी का गठन किया गया जो नए प्रकार का साम्यवाद है, देश के अंदर एनजीओ, आइएनजीओ, सोनिया गांधी के सलाहकारों की टीम के कुछ सदस्य, देश के चर्च सभी मिलकर देश को अ-स्थिर करने हेतु इन लोगो ने भ्रष्टाचार के नाम पर अन्ना को मंच पर लाया, बाबा रामदेव का आंदोलन भ्रष्टाचार का न लगा उसमे सांप्रदायिक ताकते नज़र आने लगी, जब लोगो ने पूछा की अन्ना को सिविल सोसायटी कहाँ मिली तो उत्तर मिला सिविल सोसायटी तो थी ही उसे अन्ना मिले, फिर मौका मिलते ही अन्ना को दरकिनार कर एनजीओ चलाने वाले आईआरएस अरविंद केजरीवाल ने विदेशी इशारे पर 'आम आदमी पार्टी' का गठन कर लिया दिल्ली की जनता को मूर्ख बनाया अब देश को मूर्ख बनाने की मुहिम जारी है, जो केवल भ्रष्टाचार का नाम लेते रहना है अपने अलावा सभी को भ्रष्टाचारी बताते रहना हैं, लेकिन जब कोई भी भ्रष्ट ''आप'' मे सामिल हो जाय वह रातो-रात गंगा नहा पवित्र हो जाता है।
           ''आप'' के ईमानदार केजरीवाल कौन है ? ये एक अमेरिकन एनजीओ चलाने वाले आईआरएएस अधिकारी रहे है इहोने अपने सर्विस काल मे कोई ऐसा कार्य नहीं किया जो उल्लेखनीय हो जिसकी चर्चा हो सके हाँ ये लक्षित हिंसा विधेयक कानून मे सोनिया के सलहकार थे, फोर्ड फाउंडेशन के स्टीवेन के अनुसार केजरीवाल के एनजीओ कबीर को प्रथम बार 2005 मे 1,72,000 डालर 2008मे 1,97,000 अमीरीकी डालर दिया रेगुलर फ़ोरेन फंडिंग है क्या भारतियों को पता है इसका उपयोग क्या है ? मनीष सिसौडिया भी एनजीओ की ही उपज हैं इनकी योग्यता है कि ये भी सोनिया के सलहकार रह चुके हैं और टिष्टा शीतलवाड, अरुंधतिराय, स्वामी अग्निवेश और मेधा पाटेकर इन्ही की भजन मंडली है (सभी मैगसे पुरस्कार बीजेता) जो हमेशा कश्मीर पर बिभाजन की राग अलापती रहती है, शायद अरविंद को यह पता नहीं है की यदि जनमत संग्रह कराया जाय तो भारत मे एक हज़ार स्थान होंगे जो पाकिस्तान मे जाना चाहते हैं, अब कितना बिभाजन भारत स्वीकार करेगा, गोपाल राय, योगेंद्र यादव पुराने वामपंथी हैं, प्रशांत भूषण को तो इसीलिए रखा है की वे गाहे-बेगाहे पार्टी का वायस बोलते रहे जिससे हमारे आका खुश रहें जिससे धीरे-धीरे यह विचार राष्ट्रसंघ के सामने रखा जा सके, सोनिया के मार्फत केजरीवाल का चर्च से भी संबंध है, पूरे देश मे चर्च का एक अच्छा नेटवर्क है जिसका इन्हे लाभ मिलेगा सिविल सोसायटी भी है वास्तव मे भारत के बिरोधी ताकते, बामपंथी, चर्च और इस्लामिक आतंकवादी इस गठजोड़ का नाम है ''आप'' इन्हे भारत से कोई मतलब नहीं है ये हमेसा विदेशी एजेंडे को ही लागू करना चाहते है और करेगे भी सावधानी कौन रखेगा यदि यही सत्ता मे हों--! दुर्भाग्य कैसा है इस देश का कोई पानी फ्री मे देकर, बिजली की लालच देकर, कोई लैबटाप, कोई सायकिल, कोई स्कूली ड्रेस, कोई दो किलो चावल से देश की जनता को खरीद रहा है हम भारतीय कितना न समझ है की हम बिकते जा रहे हैं और पता भी नहीं पा रहे हैं, यह देश किसी मैगसे अथवा नोबुल पुरस्कार विजेता से नहीं चलने वाला अमर्त्यसेन जिन्होने पुरस्कार की राशि चर्च को इसलिए दी जिससे हिन्दुओ का धर्मांतरण किया जा सके, जब तक हिन्दू रहेगा तभी-तक भारत रहेगा यदि भारत रहेगा तो हम भ्रष्टाचार भी मिटा लेगे, हमारी प्राथमिकता है भारत बचाना, स्वाभिमानी भारत बनाना, स्वावलंबी भारत का निर्माण, आध्यात्मिक भारत बनाना और विश्व गुरु भारत हमारा लक्ष्य।।          

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3 टिप्पणियाँ

  1. सही एवं सटीक विश्लेष्ण. राष्ट्र-निर्माण की धारा को बाधित करना ही अरविन्द केजरीवाल एवं टीम का उद्देश्य है. लेकिन सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है. २०१४ के आम चुनाव महज चुनाव नहीं एक आन्दोलन होंगे. इसमें सर्वस्व त्याग कर मां भारती के लाडलो को कूदना होगा.

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  2. मैग्ससे पुरस्कार की स्थापना फिलिपिन्स के राष्ट्रपति के नाम से अमेरिका के राकफेलर ब्रदर्स के धन से किया गया था. यह पुरस्कार एसियाई लोगो को ६ श्रेणीयों के लिए दिया आता है. अमेरिकी साम्राज्य के हित पोषण करने वाले लोगो को यह पुरस्कार देने में उदारता दिखाई जाती है. मैग्ससे पुरस्कार अरविन्द केरीवाल, टिष्टा शीतलवाड, अरुंधतिराय, स्वामी अग्निवेश और मेधा पाटेकर को मिलना कोई संयोग नहीं है. अरुण केजरीवाल का मदर टेरेसा के धर्मांतरण कार्यो में सहयोग करना, विदेशी धन प्राप्त कर भारत में सुचना के अधिकार कानूनको लागू कराने का काम करना यह सब कुछ स्पस्ट संकेत देता है की केजरीवाल के मालिक कौन है. केजरीवाल एंड कम्पनी का उद्देश्य भारत को अस्थिर करना है.

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  3. हिमवंत जी यह चुनाव एक आंदोलन के रूप मे प्रत्येक भारतीय ले रहा है, देश को अमेरिका व बंपंथी हितैसी पर सतर्क दृष्टि रखने की जरूरत है ''आप'' भी उसी का हिस्सा है जिससे हमे सावधान रहने की अवस्यकता है ।

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