बंगलादेशी घुसपैठ ---- कोशी अंचल (बिहार) बढ़ता इस्लामिक स्टेट की ओर---!

          

खतरे की घंटी

आइए चलते हैं सीमांचल की तरफ जहां बंगलादेशी घुसपैठिए भारत का पहचान समाप्त करने पर तुले हैं। चुनाव के समय जब भारत के प्रधानमंत्री ने बंगलादेशी घुसपैठियों को देश से निकालने की बात की तो ममता बनर्जी सहित देश के सारे सेकुलरिष्टों ने हाय-तोबा मचाना शुरू किया था लेकिन वास्तविकता क्या है ? ये सेकुलरिष्ट कहीं देशद्रोह तो नहीं कर रहे! इसपर विचार करने की आवस्यकता है। किशनगंज, अररिया, कटिहार और भागलपुर सहित सीमांचल के जनसंख्या का संतुलन कैसा बिगड़ रहा है की भारतीय चिति खतरे मे पड़ गयी है किशनगंज मे मुसलमान 73%, अररिया मे 45%, कटिहार मे 40% और भागलपुर मे भी 40% हो गया है, भागलपुर से चलते जाइए ज्यों-ज्यों हम देवघर महातीर्थ की ओर बढ़ते हैं जहाँ पर कोई मुसलमान नहीं था आज देवधर के गावों में २०% हो गया है ऐसा नहीं की ये सब यहीं पैदा हुए हैं इनकी वास्तविकता है कि ये सभी बगलादेशी घुसपैठिए है। आब्रजन इतना तेज है की गोड्डा में यह घुसपैठ २०%, पाकुड में ५०%, साहबगंज में ४२% संख्या हो गयी है, साहबगंज की हालत इस प्रकार है कि राजमहल प्रखंड में ५०%, उद्वा में ६०%, बड़हरवा में ३०% हो गया है ये सभी बंगलादेशी घुसपैठिए हैं, फरक्खा जिले में कुल नौ प्रखंड है जिसमे तीन प्रखंड बांग्लादेशी प्रभावी हो गया है बड़हरा प्रखंड के गुमानी में सऊदी अरब द्वारा संचालित मदरसा जिसमे हज़ारों विद्यार्थी बाहर से आकर पढ़ते है इस समय यह मदरसा आतंकवादी और धर्मान्तरण अवैध हथियार व तस्करी इत्यादि गति बिधियों का केंद्र बना हुआ है किसी भी प्रशासनिक अधिकारी की हिम्मत नहीं की उसकी जाँच कर सके या उसके अंदर घुस सके। पाकुड जिला के पाकुड नगर ५०% मुसलमान है जिसमे 25% बंगलादेशी, पाकुड़ खंड मे 65% मुसलमान जिसमे 30% बंगलादेशी और महेशपुर मे 40% मे 20% बंगलादेशी मुसलमानों की संख्या हो गयी है ।

योजना वद्ध भारतीयता समाप्त करने की शाजिस

 यहाँ पर आने वाला प्रत्येक बंगलादेशी यही बताता है कि वह मुर्शिदाबाद का है, ज्ञातब्य हो कि मुर्शिदाबाद का आधा भाग बांगलादेश मे है आधा प॰बंगाल मे यह बंगलादेशी यहाँ के रोजगारों को हासिल तो करता ही है। उसकी प्राथमिकता रहती है कि वह प्रथम किसी न किसी वनबासी लड़की से बिबाह कर उसे धर्मांतरित करना क्योंकि किसी भी आदिवासी की जमीन खरीदने पर प्रतिबंध है, इस कारण वह अधिकांश वह दो बिबाह करता है। झारखंड से सटा हुआ उड़ीसा का जिला क्योझर और मयूरगंज यहाँ भी बंगलादेशी घुसपैठ खतरनाक मोड पर पहुच गयी हैं। साहबगंज जिला का राजमहल से मालदा की सैकड़ो वर्ग किमी॰ जमीन गंगाजी का कछार है जिसमे हजारों घुसपैठियों की शरण- स्थली बना हुआ है। वहाँ फैक करेंसी, अवैध हथियार और देश बिरोधी गतिबिधियाँ बेरोकटोक चलती है आए दिन बंगलादेशियों का सबसे अच्छा ठिकाना बन गया है। जिससे वे बिना किसी भय के अपने अवैध कारोबार बेधडक करते हैं, गायों की तस्करी खुलेआम होती है इस क्षेत्र मे तो पशुधन लगभग समाप्त सा हो गया है। मंदिरों मे पूजा घरों मे 'सत्यनारायन व्रत कथा' इत्यादि मे शंख बजाना मुसलमानों की कृपा पर निर्भर है मंदिर मे कब पूजा करना वह भी मौलबी पर निर्भर करता है मंदिर के पुजारी को बार- बार अपमानित होना उसकी नियति सी बन गयी है। आए दिन हिन्दुओ की भावनाओ के साथ खिलवाड़ किया जाता है, वहाँ न तो पुलिस जाती है न कोई और जाने कि हिम्मत जुटाता है मीडिया कि हालत तो ऐसे है कि जैसे वे भारतीय हों ही न, यहाँ मुसलमानों के कुछ बड़े -बड़े गाव हैं जैसे उढ़वा ब्लाक का 'प्यारपुर' मालदा का 'मानिकचक' इन गावों मे सभी प्रकार के हथियार यहाँ तक 'एके47' जैसे हथियार बेधक बेचे जाते हैं। फैक करेंसी का अवैध धंधा किसी से छुपा नहीं है पुलिस की हिम्मत ही नहीं की कुछ कर सके, उसका कारण भी है यदि वह कुछ करना भी चाहती है तो सेकुलर राजनीतिज्ञ अल्पसंख्यक सुरक्षा नाम पर हाय- तोबा मचाना शुरू कर देते हैं। देश-भर के लगभग सभी प्रांतो की गाड़ी यदि चोरी हुई तो यहाँ मिल सकती है इन गावों मे जो भी गाड़ी जाती है आधे घंटे मे ही पता नहीं चलते कि कहाँ गया क्योकि गाँव मे बड़े-बड़े अंदर ग्राउंड अवैध गैरिज़ बने हुए हैं। इनके संबंध सिमी, इंडियन मुजाहिद्दीन और अलकायदा जैसे खतरनाक संगठनो को यह क्षेत्र केंद्र बनता जा रहा है यहाँ कुकुरमुत्तों के समान मदरसों की भरमार होती जा रही है इन मदरसों का 'सिम्मी, इंडियन मुजाहिद्दीन' से जुड़ना गर्व कि बात रहती है। पटना बम ब्लास्ट मे यहाँ का जुड़ाव था ऐसा वहाँ के लोगो का कहना है अब धीरे-धीरे ये सब इराक मे इस्लाम का नया खलीफा ''अल बगदादी'' के ''आईएसआईएस'' आतंकवादी संगठन की तरफ बढ़ते जा रहे हैं यदि समय रहते सरकार ने नहीं चेता या कोई कदम नहीं उठाया तो स्थित भयावह हो सकती है। 

बंगलादेश सीमा की हालत कुछ ऐसी है

 मै भारतीय सीमा का दर्शन करने हेतु किशनगंज की सीमा पर गया वहाँ पर 'बार्डर सेक्योर्टी फोर्ष' के अधिकारियों से भेट हुई सीमा पर पिच रोड बनी हुई है जिस पर आसानी से सेना के जवान गस्ती कर सकते हैं कोई भी भारतीय नागरिक सीमा पर क्या हो रहा है कोई मतलब नहीं ! सीमा पार कटीले तर लगे हुए है लेकिन वे टूटते रहते हैं तार व बाड़ लगाने से भारतीय सीमा भी संकुचित हो रही है। वहाँ के अधिकारियों ने बताया की कभी- कभी कुछ राष्ट्रवादी संगठनों के कार्यकर्ता सेना के उत्साह बर्धन हेतु आते हैं एक सैनिक ने बताया की देखिये यह महिला जो घास कट रही है यह बंगलादेशी है उस पार से खतरनाक हथियार आतंकवादी फेकता है ये महिलाएं हथियार अपने घास के बोरे मे भर-कर चली जाती हैं हम कुछ नहीं कर सकते यदि हम इन घास काटने वालों पर कार्यवाही करते हैं तो सेना के ऊपर आरोप- प्रत्यारोप लगा हँगामा करते है और राज्य सरकारें भी उन्हीं के साथ रहती हैं। भारतीय जनता भी और बीएसएफ़ भी मजबूर ! क्या भारत इतना कमजोर देश है की अपनी सीमा को सुरक्षित करने हेतु बाड़ लगाना पड़े ? हमे कड़े कानून बनाना और घुस -पैठियों को सज़ा देने का प्रावधान करना चाहिए जिससे कोई कभी भी घुसपैठ नहीं हो आज हालत कैसी है, भारत को ही सीमा पर बाड़ लगाना पड़ रहा है आखिर पाकिस्तान और बंगलादेश क्यो नहीं बाड़ लगाता-! साहबगंज जिला के राजमहल की हालत तो और भी बदतर है 'बीपीएल' द्वारा जो गरीबों हेतु चीनी, राशन आता है राजमहल मे गंगाजी ही है जो सीधे बंगलादेश की सीमा जुड़ती है घुसपैठिए बड़ी-बड़ी नावों द्वारा गेहूं, चावल चीनी इत्यादि समान लादकर सीधे बंगलादेश ले जाते कोई रोक-टॉक न हो लोकसभा चुनाव के पहले वहाँ के कुछ राष्ट्रवादी संगठन के कार्यकर्ताओं बिरोध किया बंगलादेशियों और बिरोध करने वाले कार्यकर्ताओं मे मार-पीट हो गयी उन सभी लोगो पर मुकदमा हो गया सभों बिरोध करने वाले जेल भेज दिये गए यहाँ तक की वहाँ बीजेपी का बिधायक है जिसने कोई रुचि नहीं दिखाई बल्कि रुचि भी दिखाई तो बंगलादेशियों के पक्ष मे, लेकिन कार्यकर्ता तो जेल गए उसका परिणाम भी हुआ की यह सामानों की तस्करी बंद हो गयी आज भी कार्यकर्ताओ पर मुकदमा चल रहा है। राजमहल और आस-पास छदपुर, उत्तरी प्यारपुर, दक्षिणी प्यारपुर, मध्य प्यारपुर, पूर्वी प्राण पुर, प॰ प्राणपुर, उत्तर पलसगाछी, दक्षिण फलस गाछी, पूर्वी उदवा दियारा, प उदवा दियारा, द॰ सर्राफ गंज, उ॰ सर्राफ गंज, पतौरा, उ॰ बेगमगंज, अमानत, दाहू टोला, खेलूटोला, कमलतोला, बर्बन्ना, हर्मल्ली, कर्बला, हिमसिंग टोला, और मुरमी टोला जैसे सैकड़ों गाव हैं, इस समय यहाँ आई.एस.आई.एस.'' की 'टीशर्ट' पहने इस्लामिक युवक स्वाभाविक दिखाई देते हैं । ये वास्तविक खतरे की घंटी है कोई भी इस्लामिक संस्था इन आतंकवादियों के खिलाफ कोई फतवा नहीं जारी कर सकता क्योंकि ये सब इस्लाम के लिए लड़ रहे हैं ! हिन्दू समाज के सेकुलर नेता उनकी प्रसस्तिगान कर भारतीय मन में निराशा का भाव पैदा कर रहे हैं। जहां भारतीय मन समाप्त होता दिखाई देता है वहाँ राष्ट्र बिरोधी गति- बिधियां खुले आम हो रही हैं लेकिन भारतीय मन चुप-चाप देखने को मजबूर है।   

अपमानित होता हिन्दू समाज

किशनगंज, कटिहार, अररिया, सहबगंज और पाकुड़ जैसे जिले जहां गावों मे हिन्दू प्रताड़ित किया जा रहा है जैसे वह इस्लामिक स्टेट मे हो-! वहाँ केवल इस्लामी लूँगी ही पहनावा, हिन्दू घरों मे 'बधना' ही रखने को मजबूर यदि घर किसी की मृत्यु हो गयी तो बलात उसे गाड़ना ही पड़ता है अग्नि संस्कार नहीं कर सकता। कितना भयावह स्थित है इसकी कल्पना दिल्ली, पटना और रांची मे बैठकर नहीं किया जा सकता आज यहाँ का हिन्दू दीनहीन अवस्था मे पहुच गया है उसकी बहन -बेटियाँ सुरक्षित नहीं है जो जमींदार था वह अब मजदूरी करने को बाध्य है। आए दिन हिन्दू समाज की बहन-बेटियाँ लव जेहाद की शिकार हो रही है सेकुलर सरकार इसको बढ़ावा ही दे रही है। भारतीय समाज का अस्तित्व इस क्षेत्र मे खतरे मे पड़ गया है उसके मठ, मंदिर और सार्बजनिक स्थानो पर बंगलादेशी कब्जा कर रहे हैं। कोई बोलने वाला नहीं है। यहाँ की हालत आने समय मे कश्मीर जैसे होने वाली है, जैसे कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़ना पड़ा उसी प्रकार वह दिन दूर नहीं जब यहाँ के हिन्दुओ को यह क्षेत्र छोड़ना पड़ेगा। यहाँ अलकायदा, आईएस.आईएस और सिमी इस्लामिक स्टेट बनाने पर लगे हैं और देशद्रोही सेकुलरिष्ट उनको संरक्षण देने मे ! तो कौन बचाएगा इस क्षेत्र को कैसे यह भाग भारत का हिस्सा रहेगा भविष्य मे यहाँ कोई हिन्दू प्रतिनिधि चुनाव जीत पाएगा यह प्रश्न खड़ा है--! 

इसका उपाय क्या है इस पर विचार करने की आवस्यकता है

 १-अर्ध सैनिक बल को ईमानदार चुस्त-दुरुस्त करना.।  
२- भारतीय राजनेताओं की राजनैतिक इक्षा शक्ति को जगाना।  
३- सीमा पर रहने वाले भारतीय नागरिको को जागृत करना। 
४- राजनीती से ऊपर उठकर देश हित का विचार करना। 
५-घुसपैठियों के प्रति कोई सहानुभूति न रख कड़े से कड़े कानून बनाना।  
६-वोट बैंक की राजनीती, तुष्टिकरण की राजनीती को छोडना। ७- इस देश का वास्तविक मालिक कौन है इसका पहचान करना और विचार करना।  
८- सीमा पर पूर्व सैनिकों को बसाने की ब्यवस्था करना। 
९- सीमा को मुसलमानों और ईसाईयों से मुक्त करना जिससे तस्करी, आतंकवादी और घुसपैठ जैसी गतिबिधियों पर रोक लगाया जा सके। 
       धीरे-धीरे यह बिहार और झारखंड का सीमांचल 1947 के रास्ते पर बढ़ रहा है बढ़ती मुसलमानों की संख्या और उनके बढ़ते हुए साहस को तथाकथित सेकुलर नेता प्रोत्साहित करते हुए दिखाई देते हैं। इन सेकुलरिष्टों को प्रत्येक राष्ट्रवादी कार्य भगवा करण ही दिखाई देता है। इसका एक और केवल एक ही उपाय है भारतीय समाज की "उग्र राष्ट्रभक्ति, उत्कट ईक्षा-शक्ति" जो किसी के रोकने से नहीं रुके --------!                  

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