धर्म को अपमानित करता हुआ बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड------------!

            

  धर्म यानी क्या ?

वास्तविकता यह है कि धर्म केवल सनातन धर्म ही है जहां जीव -जन्तु, पशु- पक्षी यहाँ तक कि नदियां, समुद्र, पहाड़ सभी की पूजा व समादर है जिसे हमारे ऋषियों मुनियों ने लाखों, करोणों वर्ष तक तपस्या सोध द्वारा एक मानव पद्धति मे विकसित किया है। वैदिक ऋषियों ने जहां ज्ञान के विकाश के लिए उपनिषदों को माध्यम बना विकाश कर उत्कृष्ट ज्ञान भंडार को मानव के सामने परोसा वहीं आदि शंकर ने अद्वैत दर्शन के आधार पर ''ब्रम्ह सत्य जगत मिथ्या'' वैदिक धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा की। रामानुजाचार्य, स्वामी रामानन्द ने द्वैत - विशिष्टा द्वैत को आधार बना मठ, मंदिरों द्वारा दशनामी संतों को खड़ाकर हिन्दू धर्म की रक्षा की और विकसित किया, वास्तविकता यह है कि मठ, मंदिर और साधू-संत ही सनातन धर्म की पहचान हैं लेकिन बिहार मे 'धार्मिक न्यास बोर्ड' नित्य हमारे साधू-संतों का अपमान करता जा रहा है। 

न्यास बोर्ड शोषक 

बोर्ड ने तो साधू-संतों का स्तर चपरासी से भी बदतर बना दिया है बोर्ड के अध्यक्ष की निगाह मे सभी साधू चोर हैं उनके साथ जो ब्यवहार है, उससे केवल साधू ही नहीं अपमानित होता बल्कि हिन्दू धर्म ही अपमानित होता है । हिन्दू समाज को इस पर विचार करना चाहिए 'न्यास बोर्ड' का तो किसी संत को अध्यक्ष बनाना चाहिए, मठ मंदिरों का मालिकाना हक भी महंतों के पास ही रहना चाहिए, बोर्ड का तो केवल उसमे यदि कुछ अनिमियतता है तो उसकी जांच का अधिकार होना चाहिए नहीं तो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दू धर्म के साथ यह ब्यवहार हिन्दू समाज को बड़ा महगा पड़ेगा क्योंकि "न्यास" हिन्दू समाज के प्रतीक चिन्हों को समाप्त करने मे लगा है किसी भी मठ अथवा मंदिर पर उस परंपरा का साधू व संत नहीं है। बोर्ड किसी को भी नियुक्त कर देता है जबकि उस परंपरा के आचार्य को यह अधिकार है की वह महंतों की नियुक्ति करे, इस कारण हिन्दू धर्म मे हसत्ताक्षेप हिन्दुत्व पर भारी पड़ रहा है 'बोर्ड' मठ-मंदिरों का धन हज यात्रा और चर्च पर खर्च कर रहा है। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मागने पर 'बोर्ड' कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराता यह भी दुर्भाग्य पूर्ण है। समय रहते हिन्दू समाज को इस विषय पर विचार करने की अवस्यकता है, नहीं तो हमारे मठ, मंदिर और गुरुकुल केवल इतिहास मे पढ़ने को मिलेगा-----! 

आगामी संत सम्मलेन 

ज्ञातब्य हो की वैशाली संत समागम 12,,13,14 दिसंबर २०१४  को दो हज़ार साधू-संतों ने प्रस्ताव पारित कर न्यास बोर्ड को निष्पक्ष करने तथा बोर्ड मे संसोधन कर साधू-संतों को ही बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जाय, पर सरकार आख मूँदे हुए है अभी इन्हीं सारे विषय को लेकर सभी संत 'बोध गया' मे 24,25,26 जुलाई २०१५  को संत समागम मे इकट्ठा होने वाले हैं संतों ने इस लड़ाई को स्वीकार किया है किसी परिणाम पर पहुचे बिना लड़ाई बंद नहीं होगी संत समाज समरसता और धर्मांतरण जैसे मुद्दे पर संघर्ष को तैयार है इन सभी विषयों पर संतों द्वारा ''बोध गया संत समागम'' मे विचार विमर्श होगा ।  

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1 टिप्पणियाँ

  1. संत समागम बोध गया में स्वामी चिंमैयानन्द सरस्वती व स्वामी परमात्मानंद सरस्वती पुरे समय थे वे पहले पटना में महामहिम राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर न्यास बोर्ड के खिलाफ ज्ञापन दिया, बिहार को बचने व जगाने का काम संतों का है यह संतों ने स्वीकार किया समागम का उद्घाटन साध्वी निरंजना केंद्रीय मंत्री तथा समापन केंद्रीय मंत्री गिरिराज संघ तथा पूर्व मंत्री पूज्य स्वामी चिंमैयानन्द सरस्वती ने किया.

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