एक बार पुनः विभाजन की ओर बढ़ता भारत ---!

भारत कब-तक बिभाजन का दंश झेलता रहेगा

 सभी को ध्यान मे होगा जब भारत मे राष्ट्रवाद चरम पर था यानी श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन चरम पर था। जहां एक तरफ भारत माता- गंगा माता के रथ को लेकर 1983-84 मे पूरे भारत मे यात्रा निकली गयी दूसरी तरफ इस राष्ट्र के जन-जन मे समाये राष्ट्र महापुरुष भगवान श्रीराम की रथयात्रा जो 1985 मे बिहार सीतामढ़ी तथा नेपाल के जनकपुर से निकाली गयी जो "राम जानकी मार्ग" से होते हुए लखनऊ मे विशाल जनसभा के रूप मे परिणित हुई । अद्भुत जनसमर्थन प्राप्त यात्रा जिसे देश आज़ादी के समय भी देखा नहीं जा सकता था। यह "श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति" का आंदोलन १९८५ से १९९२ तक था यह आंदोलन कितना बड़ा था जैसा था, जिसने इस आंदोलन को नहीं देखा वह उसकी कल्पना ही नहीं कर सकता। वास्तविकता यह है कि यह आंदोलन नहीं बल्कि यह देश भक्ति का ज्वार था। इस महान आंदोलन की हवा निकालने के लिए सेकुलरिष्ट ताकते अपनी पूरी शक्ति लगा दी इन धर्मनिरपेक्ष ताकतों ने हमेशा देशद्रोह का ही काम किया है यदि भारत इन ताकतों पर विस्वास किया तो वह आत्मघाती कदम होगा । 

भारतमाता माता नहीं डायन

देश भर जब राम और राष्ट्र एक रूपता ले रहा था उसी समय एक मुस्लिम नेता ने भारत माता को कहा की भारत माता, माता नहीं ये तो डायन है डायन। आखिर भारत अपने विभाजन का दंश कब तक झेलता रहेगा! जब देश का विभाजन 15 अगस्त 1947 को हुआ था उस समय कुछ सीधे साढ़े हिन्दुओ ने अपने संबंधी मुसलमानों यानि आस्तीन के साँपों को जनेऊ पहनकर और सिर मे चोटी रखवाकर उन्हे अपने यहाँ गांव में रख (वसा) लिया उन्हे जाने नहीं नहीं दिया। उस समय वे मुसलमान कहते थे कि हम तो यहीं की मिट्टी मे पैदा हुए हैं हम कहाँ जाएगे लेकिन याद रहे कि यह सब इस्लाम की योजना से हुआ था। धीरे-धीरे मुसलमानों ने अपना रंग दिखाना शुरू किया और यहाँ तक बढ़ गया कि बड़ी ही योजना वद्ध तरीके से जिस कॉरीडोर को पाकिस्तान मांग किया करता था कि पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान को जोड़ने हेतु एक मार्ग चाहिए जो किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, मधुबनी, दरभंगा, सितमढ़ी, चंपारण, महाराजगंज, सिद्धार्थ नगर, श्रावस्ती, बहराइच, गोंडा, लखीमपुर, अलीगढ़, मुरादाबाद, पीलीभीत, रामपुर होते हुए पाकिस्तान तक जाना इस मार्ग को भारत ने स्वीकार नहीं किया। हम जब विचार करेंगे तो ध्यान मे आयेगा नेपाल के कुछ हिस्से को मिलकर ''मोगलिस्तान" की मांग बार-बार कुछ लोग उठाते रहे हैं। वास्तविकता यह है कि जिस कॉरीडोर को पाकिस्तान मांगता रहा है बांग्लादेश बनने के पश्चात भी मुसलमान उसे भूले नहीं है वे इस क्षेत्र मे अपनी जनसंख्या बढाते चले जा रहे हैं और गाहे- बेगाहे उसे दर्शाते भी रहते हैं।

भारत के खिलाफ फतवा

अब मुसलमान अलग देश की मांग खुलकर करना शुरू कर दिया है उसकी अभिब्यक्ति कभी मुंबई के "अमर जवान ज्योति" पर हमला कर, शहीदों के स्मारक पर लात मारकर, कभी भारतीय मान्यताओं का अपमान कर, कभी मालदा टाउन, बायसी (पूर्णिया), बारसोई (कटिहार) मे हिंदुओं व सरकारी संस्थाओं पर हमला करके तो कहीं मदरसों मे राष्ट्र गान का अपमान करके! तो ओबैसी व आज़म खान जैसे नेता 'भारत माता की जय' का बिरोध करके कहते हैं कि चाहे मेरे गले पर तलवार रख दो तो भी मै भारत माता की जय कभी नहीं बोलूँगा--! तो इतना ही नहीं जेएनयू मे भारत तेरे टुकड़े होंगे "इंसा अल्ला- इंशा अल्ला"! "कश्मीर की आज़ादी तक जंग रहेगी- जंग रहेगी"! "भारत की बरबादी तक जंग रहेगी- जंग रहेगी" जैसे नारे लगते हैं। कभी हैदराबाद के उलेमाओं ने भारत माता की जय के खिलाफ फतवा देकर और उत्तर भारत ही नहीं भारत मे बिख्यात सहारनपुर के "दारुल उलूम" मदरसे ने अभी-अभी एक फतवा जारी कर कहा की किसी भी मुसलमान को 'भारत माता की जय' नहीं बोलना चाहिए ये इस्लाम के खिलाफ है कुफ़्र है और अब आगे आशा है की भारत के सभी इस्लामिक मदरसे इसी प्रकार के फतवा जारी करेगे सारा का सारा मुसलमान सड़क पर उतार आयेगा सभी सेकुलर पार्टियां भी उनके साथ होंगी, जैसे महात्मा गांधी, नेहरू जैसे नेता पाकिस्तान के साथ खड़े थे आज ये इस्लामिक संस्थाएं इन जैसी घटना करके ये क्या दर्शाना चाहते हैं ? 

भारतीय संविधान नहीं सरिया

 इसके पीछे केवल विदेशी चाल ही नहीं सेकुलर के नाम पर देश के विभाजन की साजिश है मुसलमान कभी भी भारत के साथ नहीं रह सकते। वे "सरिया" कानून चाहते हैं इस कारण किसी भी मुल्ले या मदरसे ने किसी भी आतंकवादी संगठन आईएसआईएस, आईएस, अलकायदा, हिजबुल मुजाहिद्दीन अथवा अन्य किसी भी इस्लामिक आतंकवादी संगठन के खिलाफ कोई भी फतवा जारी नहीं किया है । देश के अंदर एक लाख मदरसे हैं जो आतंकवाद की "नरसरी" हैं वे भारत के खिलाफ जहर की शिक्षा दे रहे हैं, मस्जिदों मे नमाज के समय भारत पर इस्लाम के विजय हेतु संकल्प लेते हैं। क्या भारतियों को यह सब पता है ? अब मुसलमान धीरे-धीरे अलग देश की तरफ बढ़ रहे हैं जो अब आपके सामने दिखाई दे रहा है । आज असम मे बीजेपी को चुनाव प्रचार करना मुस्किल हो रहा है उनके जुलूसों पर बांग्लादेसी मुसलमान हमला कर रहे हैं। क्योंकि वह राष्ट्रवादी पार्टी है प. बंगाल की भी हालत उसी प्रकार की है जहां-जहां हिन्दू जनसंख्या कम है वहाँ-वहाँ भारत नहीं है। वे अपने को पाकिस्तान ही समझते हैं असम, बंगाल, कश्मीर और केरल मे खुले आम पाकिस्तान की मांग व उसके झंडे दिखाई दे रहा है। जब देश का विभाजन 1947 मे हुआ था उस समय भारत मे मुसलमानों की जनसंख्या लगभग तीन करोण थी प. पाकिस्तान की हिन्दू जनसंख्या एक करोण थी पूर्वी पाकिस्तान वर्तमान बांग्लादेश मे हिंदुओं की संख्या एक करोण पचास लाख थी। लेकिन आज इतने दिन पश्चात भारत मे मुसलमानों की संख्या बढ़कर 18 करोण हो गयी उसके उलट पाकिस्तान मे हिंदुओं की संख्या घटकर दस लाख और बांग्लादेश मे हिंदुओं की संख्या पचास लाख के आस-पास बची है। हिन्दू समाज को इसपर विचार करना परेगा नहीं तो हम कब-तक देश विभन का दंश झेलते रहेगे --।

कौन बचायेगा इस पवित्र भूमि को ?

 आखिर इस देश की सुरक्षा कौन करेगा? कौन बचाएगा इस पवित्र भारत भूमि को? कौन इस मानवतावादी संस्कृति की रक्षा करेगा ? तो समझ मे आता है की हिन्दू और केवल हिन्दू! इस कारण हिन्दू समाज को ही जगना होगा, जगाना पड़ेगा नहीं तो कोई और कोई बिकल्प नहीं है। ये जो सेकुलर है या उनकी पार्टियां है ये तो सब भविष्य में मुसलमान हो जाएगे उन्हे अपने संस्कृति अपने धर्म से कोई मतलब नहीं है। इस कारण सोचो समझो और विचार करो--!         

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