चर्च के निशाने पर यदुवंशी समाज-----!

धर्म रक्षक समाज


एक समय था यादव समाज हिंदू समाज का रक्षक था इतना ही नहीं कहते हैं कि भगवान कृष्ण के नेतृत्व में इस समाज ने धर्म संस्थापना को लेकर अपनी आहुती भी दी, संघ स्थापना काल से ही हिंदुत्व के विकास रक्षा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता आया है, इतना ही नहीं जनसंघ काल में यह समाज जनसंघी कहलाता था कहते हैं कि कंठी धारी वाली सभी जातियां जनसंघी हैं।


राजनैतिक परिवर्तन


समाजवाद का उभार आया समाजवाद और साम्यवाद दोनों में बहुत अंतर नहीं है केवल इतना ही अंतर कि समाजवादी सर्वहारा नहीं होते वास्तविकता यह है कि साम्यवाद को समाप्त करने हेतु ही समाजवाद का जन्म हुआ था, डॉ राम मनोहर लोहिया ने नारा दिया "डॉ लोहिया ने बांधी गांठ पिछड़े पावै सौ में साठ" इस समाजवाद के नारे ने एक ऐसी बिकृति समाज में लायी कि लोग हिन्दू संस्कृति की जड़ से कटने लगे बहुत सारे लोगों ने अपना जनेऊ यानी शिखा-शूत्र बंद कर दिया यानी धीरे धीरे अपनी संस्कृति को ही समाप्त करने में लग गए, जब जोस ठंढा पड़ा उन लोगों को ध्यान में आया कि यह समाज व संस्कार के लिए आवश्यक है डॉ लोहिया को बहुत जल्द ही समझ में आ गया कि इस देश की मूल संस्कृति हिन्दू संस्कृति है बिना हिंदुत्व के भारत की कल्पना ही नहीं की जा सकती उन्होंने "भारत माता-धरती माता", "राम-कृष्ण-शंकर" जैसी पुस्तकें लिखी इतना ही नहीं उन्होंने अयोध्या, चित्रकूट में रामायण लगवाया जो आज भी सरकारी मेले के रूप मे आयोजन किया जाता है, लेकिन गाड़ी छूट चुकी थी चौधरी चरण सिंह के पश्चात उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव बिहार में लालू प्रसाद यादव का उद्भव हो गया था समाजवाद आड़ में जातिवाद फिर हिन्दू बिरोध शुरु हो गया और चर्च ने इसको बहुत ठीक प्रकार से अपने पक्ष में करने का प्रयत्न किया।


प्रबुद्ध व लड़ाकू वर्ग पर योजना वद्ध हमला


धीरे-धीरे यादव समाज में हिंदू विरोधी वातावरण तैयार करने का काम चर्च ने NGO के माध्यम से शुरू किया केवल यादव ही नहीं राजनीतिक रूप से जो दल संघ के विरोधी थे उनके कार्यकर्ताओं का NGO के मध्यम से चर्च ने खूब उपयोग किया जब हिन्दू संगठन के कार्यकर्ता गांवो में चर्च के षड्यंत्र को उजागर करने के लिए आगे आते तो ये सेकुलर के नाम पर चर्च का संरक्षण करते दिखाई देते परिणाम यह हुआ कि वे सब जनजातियों, दलितों में धर्मांतरण के काम करते उन्हें सफलता भी मिलती लेकिन उनके काम में धर्मजागरण, वनबासी कल्याण आश्रम, विश्व हिंदू परिषद, गायत्री परिवार, आर्य समाज, आशाराम बापू के सत्संग तथा भारत सेवा श्रम संघ जैसे अनेक समाजिक संगठन रोड़ा बन गए फिर चर्च ने नयी रणनीति अपनायी उसने हिन्दू समाज के पुरोहित वर्ग पर निशाना साधा उन्हें सफलता भी मिलनी शुरू हो गई आज बिहार में एक बड़ी संख्या इस समाज के पादरी हैं फिर चर्च ने हिन्दू समाज की लड़ाकू समाज पर निशाना साधा राजपूत, भूमिहार समाज के भी बड़ी संख्या में पादरी, पास्टर तैयार किया है, लेकिन चर्च का असली निशाना हिन्दू समाज की रीढ़ कही जाने वाली कौम "यादव समाज" इस समय चर्च के निशाने पर है, खगड़िया जिले के मानसी प्रखंड के सईद पुर बलहा जो यादव समाज का प्रमुख गांव के दबंग यादव लोगों भी इसाई धर्म का प्रचार करते पाये जा रहे हैं, इतना ही नहीं आरा जिले का चौगाई गांव, सीतामढ़ी, पूर्णिया, मुज़फ़्फ़रपुर, बगहा, सिवान, बैशाली, दरभंगा, बांका ऐसे बहुत से जिले हैं जिसका जिम्मेदारी चर्च ने यादव को सौपी है पटना के दीघा बेल्ट में लालू जी के बहुत ही नजदीकी लोग धर्मांतरण में लगे हुए हैं लेकिन उन्हें यह पता नहीं है कि वे क्या कर रहे हैं ? सीतामढ़ी के एक गांव में एक जयकुमार यादव जो अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता हैं के लड़के ने एक पादरी को पकड़ा जो धर्मांतरण के काम में लगा था उस पादरी ने तुरंत ही गांव के कुछ बड़े सम्मानित यादवों को बुलाया कहा कि मैं अपनी रोजी रोटी के लिए एक NGO में काम करता हूँ सारे यादव उस पादरी के पक्ष में आ गए वे सीधे लोग चर्च के षड्यंत्र को समझ नहीं पाए उन्हें यह नहीं पता कि इसाई होने के पश्चात कोई हिन्दू ही नहीं रह जाता जब हिन्दू ही नहीं रहेगा तो यादव कहाँ से रहेगा---॥


जहाँ ऐसे प्रेरक महापुरुष हों


कैसा दुर्भाग्य है इस समाज का ? समाजवादी नेताओँ ने आरएसएस का राजनीतिक बिरोध धीरे धीरे वह हिन्दू बिरोध के रूप में परिणित होने लगा घात लगाये चर्च ने अपना काम इसी हिन्दू बिरोध को भारत बिरोध और फिर कुछ लालच देकर चर्च अपनी तरफ आकर्षित करने का काम किया, क्या हो गया है इस समाज को जिस समाज का प्रतिनिधित्व भगवान श्रीकृष्ण करते रहे हों भगवान बलराम जिन्होने हमे कृषि का मन्त्र दिया हो हरिहर राय बुक्का राय ने घर वापसी कर विशाल हिन्दू विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की और आज कैसा है भारत की पुनर्वापसी के काम में लगे पूज्य स्वामी रामदेव जी केवल स्वदेशी ही नहीं भारत के प्रत्येक जिले में वैदिक गुरुकुल खोलने की महत्वाकांक्षी योजना जो आज भारत के सन्तों के सिरमौर हैं जिस समाज के अंदर ऐसे गौरवशाली महापुरुष हो उस समाज में ऎसी बिकृति आये यह चिंतन का विषय है इस चिंता नहीं चिंतन की आवश्यकता है॥

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