तेरा मेरा रिस्ता क्या याइल्लिलाह इल्लिल्हाह----!

मानवता का रिश्ता

प्रकृति अपने विरुद्ध सभी बस्तुओं को, जीव जंतुओं को, पशु पक्षियों को समाप्त कर देती है, हम जब प्रकृति को समझने का प्रयास करते हैं तो ध्यान में आता है वही बचता है जो प्रकृति के अनुसार जीवन जीता है हमें दिखाई दे रहा है कि प्रकृति से बहुत सी बस्तुए गायब होती जा रही है क्योंकि वे प्रकृति के अनुरूप नहीं है इसलिए भारतीय मनीषा ने विचार पूर्वक कार्य किया उसने शोषण नहीं दोहन की नीति अपनाई जिसमें हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं, जिसका विचार इतना ब्यवहारिक है कि वह अपने घर के ऊपर पानी रखता है पक्षियों के लिए, पोखर पशुओं के लिए इतना ही नहीं भोजन की थाली में झूठन छोड़ता है कुत्ते बिल्ली के लिए प्रथम रोटी गाय के लिए, तुलसी का पौधा घर के अंदर नीम का पेड़ दरवाजे पर पीपल कोई काट नहीं सकता क्योंकि यह चौबीसों घंटे प्राण वायु देता है यानी मनुष्य विवेक शील प्राणी है इसलिए सभी जीव -जंतु, पेड़ -पौधे, पशु -पक्षी सभी का पालन सभी का रक्षण मनुष्य करेगा यह है भारतीय संस्कृति का चिंतन।

आजादी आजादी

आज भारत देश के अंदर एक नारा बुलंद करने की परंपरा सी हो गई है देश के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में "आजादी आजादी" का नारा लगा उन्हें यह भी पता नहीं कि किससे आज़ादी फिर आगे नारा लगाया कि "कश्मीर को चाहिये आज़ादी" और धीरे धीरे देश भर के मुस्लिम क्षेत्रों में "पाकिस्तानी झंडे लहराना" यह फैशन हो गया यही आजादी का मतलब, फिर नारा आगे बढ़ने लगा "जिन्ना वाली आज़ादी" केवल नारा लगाया ऐसा नहीं तो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इस प्रकार के पर्चे बाटे गए और यह धीरे धीरे देश ब्यापी होने लगा प्रधानमंत्री को गाली देते रहना हिन्दुओ पर हमले करना उनकी दुकान लूटना आम बात हो गई है और कहा जा रहा है कि यह सरकार तानाशाही कर रही है यदि सरकार तानाशाही कर रही होती तो क्या यह सब धरने पर बैठ सकते थे या जो हिन्दू समाज के मंदिर तोड़ रहे हैं प्रधानमंत्री को गाली दे रहे हैं दे पाते क्या ? ये सब जेल में होते लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों को मानने वाले हैं प्रधानमंत्री इसलिए यह सब कर पा रहे हैं लेकिन इतनी अधिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया भी ठीक नहीं जो देश को अपच हो जाय।

तेरा मेरा रिस्ता क्या ?

तेरा मेरा रिस्ता क्या 'ला इलिलाह इल्लिल्हाह' यानी ये देश का, मानवता का, संविधान का अथवा भारतीयता का इनसे कोई रिश्ता नहीं ये रिश्ता केवल और केवल "इस्लाम का"-! ये रिस्ता न ईसाईयों से न ही हिंदुओं से न देश न ही संविधान इनके रिश्ते किससे तो इनके रिस्ते "ISIS" आतंकवादी संगठन क्योंकि वे सभी इस्लाम मतावलम्बी हैं इनके रिस्ते "IS आतंकवादी संगठन", इनके रिस्ते अलकायदा, इनके रिस्ते हिजबुल मुजाहिदीन, इनके रिस्ते PFI और इनके रिस्ते विश्व के तमाम इस्लामी आतंकवादी संगठनों से भी है क्योंकि आज तक किसी भी मौलाना ने किसी भी मुफ्ती ने अथवा किसी भी मुस्लिम बुद्धिजीवी ने कभी भी किसी भी इस्लामी आतंकवादी संगठनों की तो निंदा छोड़ दीजिए इन लोगों ने किसी आतंकवादी द्वारा किसी भी हमले की निंदा नहीं की है क्योंकि इनके रिस्ते इस्लामी है इनके रिस्ते "कुरान व हदीश" के है और इनका संदेश भी यही है कि सारे विश्व में "सरिया हुकुमत" चाहिए और वह हुकूमत हिंसा, हत्या और बलात्कार के द्वारा ही आ सकती है, इसलिये सम्पूर्ण विश्व में इस्लाम अलग थलग पड़ता जा रहा है इनको लेकर सारा विश्व चौकन्ना हो गया है। विश्व के अंदर "57 इस्लामिक देश" है इनके संगठन तो बने हैं ये अपना रिस्ता भी इसलामी बताते हैं लेकिन इनके आपस में विस्वास को लेकर युद्ध जारी रहता है उसी प्रकार जैसे कुत्ते रहते तो झुण्ड में है लेकिन एक दूसरे को काटते रहते हैं। ये सब हमेशा कबीलाई लड़ते रहते हैं 20 वर्षों में एक करोड़ पचास लाख मुसलमान मारा गया है चाहे इरान- इराक का युद्ध हो अथवा अन्य देशों के या इस्लामी आतंकवादी गतिविधियों में मारे गए हों। इनके "बहत्तर फिरके" (पंथ-सम्प्रदाय) हैं सभी अपने को असली मुहम्मद का अनुयायी बताते हैं जैसे जितने आतंकवादी संगठन है सभी के मुखिया प्रमुख अपने को असली खलीफा मानते हैं और सिया सुन्नी मुसलमानों को काफिर और सुन्नी शिया मुसलमानों को काफिर इसी प्रकार अहमदिया, कादियानी इत्यादि सभी के रिस्ते "सरिया के क़ुरान" के लेकिन ब्याख्या अपनी अपनी।

कौन हैं ये आतंकवादी-?

ये आतंकवादी कोई मासूम नहीं है या ये जो कर रहे हैं भटके हुए नवजवान भी नहीं हैं ये सब गजवाये हिन्द के लिए के लिए कर रहे हैं जब हम विचार करते हैं कि तो ध्यान में आता है कि ये कोई मदरसा छाप नहीं है ये सब अच्छे पढ़े लिखे लोग ये सब कर रहे हैं और यही इनकी संस्कृति है आप समझिये अथवा नहीं 2001 में अटल जी ने कहा था कि हम तो हज़ार वर्षों से इस आतंकवाद से लड़ रहे हैं, पश्चिम को आज समझ में आ रहा है, जितने भी या जिसको हम आतंकवादी कह रहे हैं इस्लाम की दृष्टि से वे गजवाये हिन्द के सिपाही हैं आप कुछ भी समझते रहिये सारा का सारा आतंकी इंजीनियरिंग, डाँक्टरी किया हुआ है वह प्रोफेसर, वैज्ञानिक, पायलट सब हाइली एजुकेटेड है कभी कभी हम समझते हैं कि यदि मुसलमान पढ़ लिख लेगा तो ठीक रहेगा लेकिन यह भ्रम मात्र है जो भी आतंकवादी है सभी पढ़ा लिखा है न कि मदरसा छाप है, ओसामा बिन लादेन, अफजल गुरु व शारजील इमाम व अन्य कोई आतंकी सभी योग्यतम लोग हैं सभी सम्पूर्ण विश्व का इस्लामीकरण करना चाहते हैं और कर रहे हैं,इस्लाम मतावलंबियों की एक और विशेषता है कि वे चाहे जज हो, आईएएस अधिकारी हो या उद्दोगपति सभी अपने वच्चों को प्राथमिकता मदरसे को देते हैं यदि मदरसा नहीं जा सका तो घर पर कोई न कोई मुल्ला मौलाना उसे कुरान, हदीस पढ़ाने आएगा और शुक्रवार को छोटा पैजामा बड़ा कुर्ता पहनाकर दिन भर मदरसे अथवा मस्जिद में रहेगा और उसे यह पढ़ाया जाता है कि यह धरती अल्लाह की है और मोमिनों के लिए है, काफिर इस धरती पर कब्जा किया हुआ है इसे काफिरों से मुक्त कराना तुम्हारा काम है, फिर क्या है कितना ही पढ़ा लिखा हो वह गजवाये हिन्द के लिए कुछ भी करने को तैयार।

और इनका इलाज शुरू 

आज ज्यों - ज्यों विश्व जनमत की इस्लाम के बारे में समझदारी बढ़ रही है त्यों- त्यों इनकी दवा भी शुरू हो गई है भारत तो गत एक हजार वर्ष से इस्लामी आतंकवाद को झेल रहा है आज भी भारत का "थर्ड जेंडर" (सेकुलरिस्ट) समझ नहीं पा रहा, लेकिन विश्व इसको मानने को तैयार नहीं था वह इसे प्रेम मुहब्बत का धर्म मानता था, लेकिन जब "अमेरिका वर्डट्रेड सेंटर" पर (9 नवंबर 2001) "हवाई जहाज" द्वारा आतंकवादियों ने हमला किया तब सारे विश्व को इस्लामी आतंकवाद देखने समझने को मिला। उस समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री "श्री अटल बिहारी वाजपेयी" ने बताया था कि भारत तो इसे हज़ार वर्ष से झेल रहा है, सारी दुनिया ने इस्लामी आतंकवाद को आज देखा, आज सारा विश्व "इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, अमेरिका, फ्रांस, सोवियत रूस और चीन" सहित दुनिया के तमाम देशों ने अब अपने अपने तरीके से इनसे निपटने की रणनीति तैयार कर रहे हैं जहाँ फ्रांस, जर्मनी ने "बुरके" पर प्रतिबंध लगाया है मस्जिदों में ऊँची मीनार नहीं बना सकते वहीं अमेरिका सभी मुसलमानों को नंगा कर जाँच कर रहा है जापान किसी भी मुसलमान को "बीशा" नहीं देता है "अरबी भाषा" में पत्र नहीं प्राप्त करता "सोवियत रूस" ने कहा यदि रुस में रहना है तो यही के सांस्कृतिक में रहना होगा चीन ने "कुरान" को प्रतिवंधित किया है रोजा नहीं रख सकते "हज यात्रा" नहीं कर सकते कोई "इस्लामी दाढ़ी" नहीं रख सकता यहाँ तक कि इस्लामिक नाम भी नहीं रख सकते, आज सारे विश्व में "इस्लाम" का पर्यावाची शब्द "आतंकवाद" हो गया है दुनिया इन्हें घेर कर समाप्ति करने में जुट गई है क्योंकि सभी को पता है कि इस्लाम मानवता के लिए खतरा बन गया है जैसे मैंने पीछे लिखा है कि अप्रारकृतिक जीवन प्रकृति स्वीकार नहीं कर सकती इसलिए सम्पूर्ण विश्व इन्हें समाप्त कर देगा और भारत में तो ये हिंदुओ की संतान हैं पुनः वहीं चले जायेंगे यही एक मात्र विकल्प है।