भारतीय मिडिया कितना भारतीय ?

        जब हम भारतीय मिडिया क़े बारे में सोचते है तो लगता है वह भारत की है या नहीं क्यों की ये सेकुलर क़े नाम पर भारतीयता क़ा बिरोध करना अपना कर्तब्य समझता है इतना ही मानवाधिकार क़े नाम पर आतंकबादियो क़ा समर्थन करने वालो क़ा भी जोरदार ढंग से मिडिया साथ देता है, चाहे काश्मीर में अलगावबादियो क़ा मामला हो या कश्मीरी पंडितो क़ा मिडिया क़ा रुख कभी सकारात्मक नहीं रहता इतना ही नहीं क्षत्तिसगढ़ हो, कही और पूरा देश में प्रगतिशील मिडिया क़े नाम पर बामपंथी आतंकबाद क़ा समर्थन करना ऐसा क्यों है ? यह सोचने की बात है .
         मिडिया  लोकतंत्र क़ा चौथा खम्भा है, बर्तमान संचार क्रांति क़े युग में मिडिया बहुत शक्तिशाली बनकर उभरा है जनता क़ा दृष्टिकोण बनाने या बदलने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाता है परन्तु कुछ मिडिया समूह विदेशी नियंत्रण में होने क़े कारण भारतीयता क़ा बिरोध होना स्वाभाविक है. मै कुछ मिडिया घरानों क़ा उद्धहरण देने क़ा प्रयत्न कर रहा हू.
१---- एनडी. टी. वी. ----यह लोक प्रिय न्यूज चैनल स्पेन क़े गास्पेल्स ऑफ़ चेरिटी से आर्थिक सहायता प्राप्त करता है केवल इस चैनल को पाकिस्तान क़े राष्ट्रपति ने पाकिस्तान में प्रसारण की अनुमति दी है, इस नाते यह चैनल पाक क़े प्रति सौम्य ब्यवहार करता है.
२----- सी.एन.एन आइ बी.एन.---यह चैनल शत -प्रतिशत दक्षिण वैपटिष्ट चर्च द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त है, इसका मुख्यालय अमेरिका में है चर्च प्रतिवर्ष इस चैनल को आठ सौ मिलियन डालर देता है .
३------ टाइम्स ग्रुप--- टाइम्स ग्रुप पर बैनेट और कोलेमन क़ा स्वामित्वा है, वर्ल्ड क्रिश्चियन कौसिल की इस  चैनल में ८० प्रतिशत भागीदारी है इसके अलावा एक अंग्रेज और एक इटेलियन क़े २०प्रतिशत लगानी है यह इटेलियन राबर्तियो मिन्डो सोनिया गाधी क़ा करीबी माना जाता है, इस ग्रुप में टाइम्स ऑफ़ इंडिया, मिड डे, नवभारत टाइम्स और विजय कर्णाटक टाइम्स समाचार आते है.
४----  इण्डिया टुडे --- यह पत्र एन.डी.टी.वी.ग्रुप द्वारा ले लिया गया है.
५------ स्टार--टी.वी. यह एक आस्ट्रेलियन द्वारा स्थापित है जो मेलबोर्न पोटी फिसियन चर्च सेंट पीटर्स द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त है .
६------   द हिन्दू ---इस अंग्रेजी अथवा दैनिक क़ा स्वामित्व अभी हाल में जोसुआ सोसायटी स्विट्जर लैंड क़े हाथ में आ गया है.
७-------  एशियन एज और दक्कन, क्रानिकल --यह सउदी अरब की एक कंपनी द्वारा संचालित है जिसके मुख्या संपादक एम्.जे. अकबर है.
          अब सोचने की आवस्यकता है की देश क़े हित को कैसे संजोया जाय विदेशी स्वमित्य की मिडिया द्वारा -पक्षपात पूर्ण प्रचार [अप्रचार] भी किया जाता है जो कई बार भारतीय  राजनीती में अवांछित हस्तक्षेप और राष्ट्र हितो क़े बिरोध भी हो सकता है. आखिर मिडिया क़े लोग अपने मालिक को नजरंदाज कैसे करसकते है.
           सोचिये-----समझिये-------और------बिचार कीजिये-------.

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5 टिप्पणियाँ

  1. अपने स्वार्थ की रक्षा के अतिरिक्त कुछ नहीं सोचते हैं हम लोग.

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  2. आपने तो हमारी आँख खोल दी साहेब

    आभर.

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  3. .

    आजादी के तिरसठ साल बाद भी हम गुलाम हैं और गुलामी कि जडें और गहरा रही हैं।

    .

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  4. दीपक बाबा, दिव्या जी और भारतीय नागरिक आप हमारे पोस्ट पर आए हमारा उत्साह बर्धन किया बहुत-बहुत धन्यवाद

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  5. हम मिडीया मे विदेशी निवेष का खुल कर विरोध क्यो नही करते ??? आईए एक दिन दिल्ली पहुंचे और विरोध करे.... वह दिन दुर नही जब दैंनिक जागरण प्रकाशन समुह और पंजाब केशरी जैसे प्रकाशनो को भी कोई विदेशी खरीद लेगा।

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