इस रीढ़ हीन सरकार द्वारा देश की सुरक्षा संभव नहीं लगता.--कही नक्सली तो इस्लामिक और चर्च आतंकबादी---


 काग्रेस का इस्लाम के प्रति रवैया       

भारत सरकार का रवैया लगातार देश बिरोधी होता जा रहा है UPA सरकार यह बताने में कोई कोताही बरत नहीं रही है कि यह सरकार देश बिरोधी ही नहीं तो देश द्रोहियों से साथ-गाठ किये हुए है। देश हित का बिचार न करते हुए कही "कसाव" तो कही "अफजल गुरु" को बचाने की मुहीम जिससे मुस्लिम समुदाय को यह बताया जा सके कि देखो देशभक्ति नहीं! भारत की मुख्य धारा में जुड़ना तुम्हारे हित में नहीं, सम्पूर्ण इस्लाम मतावलंबियो को देशद्रोही बनाने की इक्षा नेहरु जी की थी उसे आज कांग्रेस उसे साकार कर रही है। मुसलमान भाइयो से अनुरोध है कि वे इनकी चाल को समझे और देश की मुख्य धारा में जुड़े नहीं तो सारे विश्व में इस्लाम आतंकबादी धर्म के नाते प्रचलित हो गया है वह दिन दूर नहीं कि भारत में भी आम जन मानस मुसलमान बिरोधी हो जायेगा 

   चर्च के कारनामे 

दूसरी तरफ चर्च द्वारा पुर्बांचल में आतंक ही नहीं चर्च आतंक का पर्याय बन गया है प्रतिदिन देश बिभाजन का नारा गूजता ही रहता है केवल नार्थ-ईस्ट ही नहीं तो चाहे छत्तीसगढ़ हो या झारखण्ड या उड़ीसा भारत की  मुख्य धारा से अलग करना ही चर्च का उद्देश्य बन गया है चर्च लगातार धर्मान्तरण कराके बिभेद पैदा कर आपस में संघर्ष पैदा करना ही देश तोड़ने की साजिस करना और केंद्र सरकार का उसे समर्थन यह कोई नयी बात नहीं है क्यों कि सोनिया गाधी को खुश करने हेतु पूरी केंद्र सरकार ईटली के कदमो में सरना-गत है। "राजीव गाधी फाउंडेशन ट्रष्ट" में पैसा कहा से आता है -कहा जाता है ? किसी को कुछ पता नहीं लेकिन राष्ट्रबादी संतो की जाच में सरकार अग्रेसिव है क्योंकि वे देशभक्ति की बात करते है वे काले धन को भारत में लाने की बात करते है।

वामपंथी साजिश 

एक और ताकत देश में गृह युद्ध जैसी स्थिति पैदा किये हुए है उनका वर्ष भर का बज़ट २८०० करोण का है जो धन भारत कि गरीब जनता से लेवी के रूप में वसूला किया जाता है डॉ सेन को देशद्रोह के केश में जब सजा हुई तो सरकार सहित मानवाधिकारी संगठनों ने हाय तोबा मचा रखा था। अभी केवल जमानत ही हुई है केंद्र सरकार ने उसे जिस पर गंभीर आरोप है योजना आयोग में सदस्य बना दिया, सरकार यह दिखाने का प्रयत्न कर रही है कि हम बड़े उदार है हम नक्सली हिंसा के बिरोध में नहीं ! लगातार एक पर हमला हत्या होती जा रही है लेकिन केंद्र सरकार को कोई मतलब नहीं है वह इसे केवल राज्य सरकार की समस्या  मान रही है। जब कि ये राष्ट्रीय समस्या है छत्तीसगढ़ में जिस प्रकार पिछले तीन दिनों से पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान नक्सलियों का निशाना बन रहे है उससे साफ है कि उन्होंने युद्ध छेड़ रखा है। नक्सलियों ने गुरुवार को नारायणपुर जिले राज्य सशस्त्र सेना के पाच जवानों को निशाना बनाया, शुक्रवार को दंतेवाडा जिले में सात बिशेष पुलिस अधिकारियो एवम तीन पुलिस कर्मियों की जान ली, शनिवार को केंद्रीय बल के तीन जवानों की हत्या की किसी के भी समझ यह बात आ सकती है कि नक्सली कितना दुस्साहसिक हो गए है। मौजूदा निति से तो इन पर काबू नहीं पाया जा सकता, लेकिन केंद्र सरकार के सिर में जू नहीं रेग रहा। छत्तीसगढ़ की पुलिस जब नक्सलियों को उड़ीसा में घेरती है तो उन्हें मदद नहीं मिलती आखिर केंद्र सरकार को प्रत्येक राष्ट्रबादी क्यों अपराधी दिखाई पड़ता है और प्रत्येक आतंकबादी क्यों देश भक्त ? यह बिचार देश की जनता को सोचने के लिए बाध्य करता है।   


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