पंद्रह अगस्त पर विशेष -------------------.

राष्ट्रीय पर्व क्या ?

 कहने को तो यह दिन राष्ट्रीय पर्व के नाते मनाया जाता है, लेकिन क्या वास्तव में यह राष्ट्रीय पर्व है ? हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता है, जैसे कुछ लोग यह कहते है की हम धीरे-धीरे एक राष्ट्र बनते जा रहे है उसी प्रकार १५अगस्त भी धीरे-धीरे राष्ट्रीय पर्व होता जा रहा है राष्ट्रीय पर्व वह होता जिसे देश की जनता स्वाभिक रूप से मानती है जैसे होली, दिवाली, रक्षाबंधन इत्यादि---.लेकिन आज़ादी के इतने दिन बीतने के पश्चात् भी क्या हम अपने देश को यह बता पाए कि आज़ादी की कीमत हमने दी क्या है नहीं ? मुझे बड़ा ही आश्चर्य होता है जब बड़े-बड़े लोग चरखा अहिंसा की बात करते है गीत गाते है की ''देदी आज़ादी हमें खड्ग बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल, यह कैसी बिडम्बना है सायद १८५७ उन्हें याद नहीं जिसने देश के लिए लाखो का बलिदान लिया इतना ही नहीं केवल उत्तर प्रदेश और बिहार में २० लाख लोग मारे गए थे, सायद ही कोई पीपल का पेड़ या कुवा बचा हो जिसमे सैकड़ो की फासी नही हो या सैकड़ो को कुए में न डाला गया हो १८५७ से १८६० तक जो भी पढ़े-लिखे लोग थे सभी को खोज-खोज कर उन्हें फासी दिया या गोलियों से भुन दिया, हमने उस वीर बंदा बैरागी के बलिदान को भुला दिया ,उस प्रथम महापुरुष गुरु गोविन्द सिंह को जिसने सभी हिन्दुओ को सिंह बना देश के लिए बलिदान देना सिखाया जिसने पिता, पुत्र और सभी शिष्यों सहित अपने को देश हेतु बलिदान कर दिया, उस राणाप्रताप को भुला दिया जिसने देश प्रेम के कठोर ब्रत का पालन करना और अद्भुत बलिदान कर आज़ादी की अलख जगाये रखा, हमें वह शिवा जी भी याद नहीं आते जिसने डंके की चोप पर हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना की हमें स्वतंत्रता पूर्बक जीना सिखाया।

क्रांतिकारियों के बलिदान की उपेक्षा 

 आज कल एक गीत बड़ा प्रसिद्द है दे दी आज़ादी हमें खड्ग बिना ढाल--! अरे ये गोरा चेहरा क्या दया पात्र है कदापि नहीं क्या इनकी सकल ऐसी लगती है कि आज़ादी अहिंसा से दे सकते है जिस चर्च द्वारा लाखो महिलाओ को इस नाते मार दिया जाता हो की इनके अन्दर आत्मा नहीं होती ये सभी डायन है बाईबिल भी कही कुरान से हिंसा फ़ैलाने में कम नहीं इन दोनों ने मानवता को तार-तार कर करोणों की हत्या का आदेश दिया, और उनके अनुयायियों से हम उम्मीद क्रेट है हमें आज़ादी बड़ी ही आसानी से दी होगी ,हम गाढ़ी के बिरोधी नहीं लेकिन क्या नेता जी के उस आजाद हिंद फ़ौज को भुलाया जा सकता है, क्या जलियावाला बाग को भुलाया जा सकता है हम भगत सिंह, आजाद विस्मिल को भुला सकते है या उन अनाम जिन्हें कोई जनता नहीं और बलिदान हुए हम भूल सकते है,कदापि नहीं जब हम यह गीत सुनता है और यह की चरखा काटने से देश आजाद हुआ तो ऐसा लगता है की हम उन सभी क्रांतिकारियों का अपमान कर रहे है , आज फिर देश गुलामी की तरफ बढ़ गया है एक गोरी चमड़ी के हम गुलाम हो गए है वह रिमोट से सासन कर रही है जब-तक आप उसके समर्थन में है तब -तक आप अच्छे है जब बिरोध में गए तो आप पर सी बी आई की जाच शुरू हो जाती है ,इतना ही नहीं जो सांप्रदायिक बिल सरकार लाने जा रही है उसे देश द्रोहियों ने ही तैयार किया है वह देश के एक और बिभाजन की तयारी के लिए है जब -जब भ्रष्ट्राचार के लिए कोई संघर्ष करता है तो वह गोरी चमड़ी  उस पर अमानुसिक अत्याचार करना शुरू करती है चाहे वह बाबा रामदेव हो या अन्ना हजारे।

क्या क्रांतिकारियों का बलिदान ब्यर्थ जायेगा ?

 क्या हम लाखो देश भक्तो के बलिदान को ऐसे ही भुला देगे ? क्या सारा भारतवर्ष -  आर्य जाति नपुंशक हो गया है ? जो एक विदेशी के हाथ का खेलौना बने रहेगा, दोष उसका नहीं बीजेपी भी कम दोषी नहीं उसी के पापो का परिणाम भारत भोग रहा है राहुल गाधी अमेरिका में तो ड्रग्स में फस ही गया था बीजेपी ने ही उसे जीवन दिया था, आज यह परिवार भारत के लिए अभिशाप हो गया है, आईये भारत को इस दल-दल से मुक्त कर भारत माता का मस्तक उचा करे.।
   

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4 टिप्पणियाँ

  1. @ देदी आज़ादी हमें खड्ग बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल,



    सब है कमाल...
    क्योंकि वो है कांग्रेस का माल.

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  2. .


    मान्यवर

    सादर वंदे मातरम् !

    आपका आलेख बहुत पसंद आया … देश बचाने के लिए हमें संगठित और सचेष्ट हो'कर अपनी भूमिका निभानी होगी ।

    वर्तमान घटनाओं को देखते हुए मैंने लिखा है -

    काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है
    मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है

    पूरी रचना के लिए पधारें …

    हार्दिक मंगलकामनाओं सहित …
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  3. और गांधी का सत्य जानने के लिए इस लिंक से डाउनलोड करें पुस्तक - रंगीला गांधी

    http://groups.google.com/group/amsa-nk-human-rights/browse_thread/thread/6df12c1bc1bb2c7?pli=1

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  4. मेरा गाढ़ी जी से कोई बिरोध नहीं उनके कर्म द्वारा जो मानवता का नुकसान हुआ और हिंदुत्व भारतीयता और भारत का नुकसान हुआ और आज भी हम तुष्टिकरण के चलते देश पुनः बिभाजन की तरफ बढ़ रहा है हमें इसकी चिंता है

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