पवित्र -गीता पर प्रतिबन्ध का प्रयास चर्च के हताशा का परिणाम.

   पवित्र गीता   

गीता विश्व का महानतम प्राचीन ग्रन्थ है जो मानवता के कल्याण हेतु भगवान के श्रीमुख से निकला हुआ ग्रन्थ है, गीता मानवी मन की उलझनों को जीवन की सुलझनो में बदल देने का रास्ता दिखाती है, गीता के कारण कही विद्वेष फैला हो! यह बात रूसियो को बतानी पड़ेगी और उसका जबाब भी विश्व समुदाय को मागना पड़ेगा, भारत सरकार कितनी सक्रिय है और किस तरह इस बात को रूसियो और अन्य देशो के समक्ष उठाती है, इस बात पर बहुत कुछ निर्भर करती है, सांस्कृतिक मामलो में भी हमारी विदेश निति को भी समय की कसौटी पर कसा जाना चाहिए।

प्रचारक धर्म

आज के 'प्रचारक धर्म' जिन्होंने मानवता को तार-तार करके रखा हुआ है उन्हें यह शांति "धर्मरक्षक ग्रंथ" बर्दास्त नहीं हो रहा है, जहा 'कुरान' के अनुयायियों ने यह कहा की जब कुरान में सब-कुछ लिखा ही है तो और पुस्तकों की क्या आवस्यकता है ? तो 'नालंदा' और 'तक्षशिला' जैसे अनेक विश्व बिद्यालय व शिक्षण संस्थाओं को जलाकर खाक कर दिया, कहा कि जब खुदा मस्जिद में रहता है तो अन्य पूजा स्थलों की क्या जरुरत ? लाखो मंदिरों को ध्वस्त कर दिया और विश्व के तमाम देशो में आज भी जारी है, मेरे ही पूजा के तरीके ठीक है तो करोडो निरपराध लोगो की हत्या की और आज भी कर रहे है।

हिंसा में ये भी पीछे नहीं

एक और बिचार है जो कहते है कि जो कुछ बाइबिल में लिखा है वही सही है, 'गलेलियो' जैसे बैज्ञानिक को फासी की सजा सुनाई, इसी मार्ग के द्वारा स्वर्ग मिल सकता है तो जोर जबरदस्ती सभी को "ईशू" का अनुयायी होना जरुरी तो धर्म को ब्यापार बनाने में भी कोई हिचक नहीं, इसी दो हज़ार वर्षो में १५० करोण लोगो की हत्या का श्रेय इन्हें ही प्राप्त है, भारत का पूर्वांचल आज इनका शिकार है, इतना ही नहीं इन्हें "लक्षमणानन्द सरस्वती" जैसे संतो की हत्या करने में कोई संकोच नहीं उड़ीसा, झारखण्ड, छतिसगढ़ जैसे राज्यों के वनबाशी क्षेत्रो की शांति-भंग करके रखा है वहां के मानव-जीवन को भारतीयता से काटने के प्रयास कर रहे है। 

विश्व दो भागों में!

इन दोनों मतावलंबियो ने सम्पूर्ण विश्व को दो भागो में बाटकर रख दिया है इनका युद्ध जारी है, आज सारे इस्लामिक देशो को या तो अमेरिका का गुलाम बनना है या तो नष्ट होने के लिए तैयार रहना है! दोनों एक -दुसरे को समाप्त करने में लगे हुए है, लेकिन जब भारत का या 'हिन्दू धर्म' का विषय आता है तो ये सब एक हो जाते है क्योंकि दोनों को मानवता से खतरा है ? दोनों मानवता बिरोधी है दुनिया को "अस्मसान" (कबरिस्तान) बनाना चाहते है, तो क्या इन दोनों के बिचार पुस्तकों [बाइबिल, कुरान] पर प्रतिबन्ध संभव है यदि पश्चिम इतना ही मानवतावादी है तो विश्व में भेद कर रहे इन ग्रंथो पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाता--?

और दास कैपिटल

रुसी शायद यह भूल जाते है की कार्लमार्क्स को भी लन्दन भागना पड़ा था और वहा से उनका 'दास कैपिटल' छापकर चोरी छिपे रूस में पंहुचा था, वे यह भूल रहे है कि सर्वहारा का सशस्त्र संघर्ष साम्यबाद की देन है जिसने दासियों करोड़ निरपराध लोगों की हत्या का पाप किया है,, जबकि हिन्दू दर्शन अहिंसा से सामाजिक बदलाव की बात करता है।

मुकदमा तक का साहस

 यह मुकदमा साइबेरिया के तोमस्क शहर की एक अदालत में दायर है मुकदमे में अभियोजक यानी ईसाई आर्थोडाक्स चर्च से जुड़े एक संगठन ने हिन्दुओ के पवित्र ग्रन्थ श्रीमदभगवतगीता पर प्रतिबन्ध लगाने का आग्रह किया है, अभियोजक का तर्क है कि यह ग्रन्थ समाज में विद्वेष फैलता है इन रूसियो को शायद यह नहीं पता गीता की करोणों-करोणों प्रतियां बिक चुकी है, जून २०११ से यह मामला रुसी अदालत में था, इस बीच हमारे प्रधानमंत्री रूस का दौरा भी कर आये, रूस में रहने वाले हिन्दुओ और इस्कान समर्थको ने भारत सरकार से यथा समय गुहार भी लगायी फिर भी बात नहीं बनी, जिन पुस्तकों के कारण विश्व के बहुत राष्ट्र टूट गए उनकी संस्कृतियाँ समाप्त हो गयीं करोणों-अरबों हिंसा की बलि चढ़ गए, क्या किसी की हिम्मत है कि उनपर प्रतिबन्ध लगाये ? हमारी सरकार यदि उचित कदम नहीं उठाती है तो हिन्दुओ को आत्मविश्वास पूर्बक अहिंसक आन्दोलन कर रूसियो को झुकाना चाहिए।  

विश्व के सारे ग्रंथ गीता को छोड़कर सभी कलवाह्य

क्या है हिन्दू धर्म में? क्या है गीता में ? आज हमें विश्लेषण करने की आवस्यकता है, आज पश्चिम के देशो में चर्च के प्रति आस्था कम हुई है हजारो पादरी चरित्र हीनता के शिकार हुए है, उन पर सैकड़ो अदालतों में मुकदमा चल रहा है, चर्च खाली पड़ा हुआ है, नने बच्चा पैदा कर रही है, सारा का सारा पश्चिम हिंदुत्व की तरफ आकर्षित हो रहा है इस्कान और वेदांत के माध्यम से पश्चिम भारतीय संस्कृति की तरफ बड़ी ही तेजी से बढ़ रहा है, चर्च का हताश होना स्वाभाविक ही है लेकिन इससे काम नहीं चलेगा बिचार के स्तर पर आना पड़ेगा, इस समय बाइबिल बिचार अब अप्रसांगिक 'दासकैपिटल' और 'कुरान' काल बाह्य हो गया है।

नित्य नूतन

गीता नित्य नूतन है जो हमें चैतन्यता देता है अधर्म पर धर्म की विजय का सन्देश देता है, लेकिन हम हिन्दू कैसे है जो गीता आज सर्व श्रेष्ठ विचारो की जननी है हम पढ़ते-पढ़ाते नहीं, हमारे घरो में है ही नहीं, हमें शर्म क्यों नहीं आती ? हम अपने बच्चो को क्या बनाना चाहते है ? भारत तो वेद, उपनिषद और गीता के कारन ही विश्व में जाना जाता है जिसे हिंदुत्व कहते है, आखिर कब तुम्हारी निद्रा टूटेगी ? हिन्दुओ जागो मानवता का सन्देश दुनिया पहुचाओ उसका माध्यम गीता ही हो सकती है।

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7 टिप्पणियाँ

  1. बिलकुल, हमें अपने धर्म-ग्रंथों की जानकारी होना ही चाहिए.

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  2. सूबेदार जी, सार्थक आलेख ! यह सत्य है कि हिन्दू धर्म पर हरवक्त चारों तरफ से प्रत्यक्ष और परोक्ष आक्रमण सदियों से होते रहे है, लेकिन यही इस धर्म की महानता है कि यह अपनी क्रिटिसिज्म स्वीकारता है, उस पर बहस को आमंतरण देता है और फिर खरा भी उतरता है ! आपको नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !

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  3. गोदियाल नमस्ते
    हिंदुत्व की अवधारना ही वैज्ञानिक है वह सत्य सास्वत है
    नववर्ष वर्ष प्रतिपदा पर शुभकामना देगे बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  4. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष की अशेष शुभकामनाएं । धन्यवाद ।

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  5. आप को सपरिवार नव वर्ष 2012 की ढेरों शुभकामनाएं.

    इस रिश्ते को यूँ ही बनाए रखना,
    दिल मे यादो क चिराग जलाए रखना,
    बहुत प्यारा सफ़र रहा 2011 का,
    अपना साथ 2012 मे भी इस तहरे बनाए रखना,
    !! नया साल मुबारक !!

    आप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया, आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ, एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से नया साल मुबारक हो ॥


    सादर
    आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
    एक ब्लॉग सबका

    आज का आगरा

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  6. मानवता का उपदेश सिर्फ गीता से ही मिल सकता है,बहुत सुंदर,
    नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,..
    आपके जीवन को प्रेम एवं विश्वास से महकाता रहे,

    मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--

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  7. Gita ban karne ke kuprayaas safal nahin huye unke....-- आपको एवं आपके परिवार को नए वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं !

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