मोदी की लहर में समरसता- राष्ट्रवाद के निर्माण की प्रबल सम्भावना-!

         

पहली बार--!

देश मे पहली बार वोट फॉर नेशन, वोट फॉर भारत -- नारे के साथ राष्ट्रवाद अपने दम पर सत्ता की दहलीज पर----!

राष्ट्रवाद का ज्वार

देश की जनता २०१४ के लोकसभा का चुनाव मे कुछ अजीव सन्देश देने जा रही है जहाँ लोगो का आकलन है की बीजेपी को २२० सीट मिलेगी NDA २७२+ होगा लेकिन मेरा मत ऐसा है कि जिस प्रकार वोटरों की रुझान दिखायी दे रही है अकेले बीजेपी २७२ पार करेगी लेकिन यह सब क्यों और कैसे हो रहा है ? कोई नहीं समझ पा रहा है देश आज़ादी के पश्चात् कुछ तथाकथित बड़ी जातियों जो धार्मिक तो थी लेकिन वे राष्ट्रवादी नहीं कही जा सकती मेरे मन में कोई किसी जाती के प्रति दुराग्रह नहीं है लेकिन एक हज़ार वर्ष पहले देश क्यों इस्लामी बर्बरों के हाथ में गया ? फिर मुगलो तथा अंग्रेजों ने दो सौ वर्षों तक शासन किया इसका कौन जिम्मेदार है, इतना ही नहीं वे आज़ाद भारत में कौन हैं जिन्होंने हिन्दू विरोधी हिन्दू कोडबिल लाया ? वे कौन हैं जिन्होंने योजनाबद्ध तरीके से हिन्दुओ की जनसँख्या को कम कराना और मुसलमानों की संख्या को बढ़ावा दे रहे हैं, वे कौन लोग हैं ? जिंहोने हिन्दू राष्ट्रवाद की उपेक्षा की, वे कौन हैं जिन्होंने मुस्लिम परसनलला वोर्ड बनाया, कौन हैं जिन्होंने कश्मीर में अलगाववादी धारा 3७० को लगाया और समर्थन किया। 

देश की आत्मा क्या है?

हमारे देश का मूल तत्व क्या है ? हम भारत को भारत कैसे बनाये रख सकते हैं ? जब हम इस पर विचार करते हैं तो ध्यान में आता है कि वेदों, उपनिषदों, रामायण और महाभारत व गीता का देश, कौन सुरक्षित रखेगा इसे, क्या हमसे कोई विदेशी कुरान अथवा बायबिल के बारे में ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करेगा नहीं !  स्वाभाविक रूप से कोई भी हमसे वेद और गीता के बारे में पूछेगा--! जब हम खाद्य पदार्थ की चर्चा करते हैं तो क्या खाना क्या नहीं खाना-? क्या पहनना क्या नहीं पहनना ! हमारे ऋषियों ने शोध पूर्वक रचना की है ईश्वर ने हमें शाकाहारी जीव बनाया है, विश्व में शाकाहारी भोजनालय केवल हिंदुओं के लिए ही है, आज यह वैदिक रीती रिवाज कौन मानता है इस पर हमें विचार करने की आवस्यकता है, तथाकथित पिछड़ा, दलित समाज और वनबासी समाज जो पूर्णतया वैदिक परंपरा को मानने वाला है वास्तविक राष्ट्रवादी यही है। आज नरेंद्र मोदी की उभार से जो तबका समाजवाद के नाम पर जातिवाद मे बटा था, जिसको मण्डल कमीशन के नाम पर राष्ट्र की मुख्य धारा से अलग करने का प्रयत्न किया गया था। आज राजनैतिक दृष्टि से वह नरेंद्र मोदी खेमे मे है जो शुद्ध राष्ट्रवादी हैं उनमे जातिवाद का लेसमात्र भी असर नहीं है। मै विस्वास के साथ यह कह सकता हूँ कि वे जिस पाठशाला की पौध हैं वहाँ राष्ट्रवाद के अतिरिक्त कुछ नहीं पढ़ाया जाता। 

परंपरा गत राष्ट्रवाद का जागरण

एक दूसरा पहलू भी है संयोग देखिये जिस महर्षि दयानन्द ने प्रखर राष्ट्रवाद के आधार पर हजारों क्रांतिकारी आर्यसमाज के माध्यम से खड़ाकर देश को आज़ादी दिलाई उनके परंपरा के वारिष राष्ट्रऋषि स्वामी रामदेव भी तथाकथित पिछड़े समाज से आते हैं। आज देश कैसा करवट ले रहा हैं की देश के दो शीर्ष पुरुष जिनके कारण देश का दलित, पिछड़ा और उपेक्षित वनबासी समाज मे राष्ट्रवाद का ज्वार आ गया है जो देश की राष्ट्र विरोधी ताकतों को रोकना चाहता है। वह राम मंदिर बनाना चाहता है, वह बंगलादेशी घुसपैठ रोकना चाहता है, वह इस्लामिक आतंकवाद से लड़ना चाहता है वह अपना स्वाभाविक नेता नरेंद्र मोदी  और बाबा रामदेव को मान चुका है। आज मोदी के नेतृत्व मे इन जातियों मे उफान आ गया है आज समय आ गया अगड़ा- पिछड़ा, दलित भेद भाव समाप्त कर समय की पुकार सुनकर बीजेपी का साथ देकर समरसता और राष्ट्रवाद को मजबूत कर हिन्दू समाज को संगठित कर 272 सीट बीजेपी को दे। हमे तो लगता है कि अकेले ही बीजेपी 272+ सीट पाकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे सरकार बनाएगी और भारत को भारत बनाए रखने का इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं बचता।         

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