अयोध्या-भारत-भगवान श्रीराम और उनकी जन्मभूमि

अयोध्या --!    

ऋगुवेद की ऋचाओ से लेकर उपनिषदों और पुराणों तक ही नहीं बिभिन्न ऐतिहासिक पुस्तकों में भी सप्रमाण अयोध्या और श्रीराम क़ा वर्णन मिलता है पुरातन काल में हजारो नहीं लाखो वर्षो तक भारत क़ा राजनैतिक केंद्र अयोध्या रहा है। एक समय ऐसा था जब अयोध्या क़े नाते ही जम्बू द्वीप,भारत वर्ष जाना जाता था। लेकिन आज कुछ ऐसे राज नेता है जिन्हें भारतीयता से कोई लेना देना नहीं है। सेकुलर क़े नाम पर देश द्रोह करने पर उतारू है चाहे दिग्विजय हो अथवा करात या अन्य सेकुलर फोर्सेज, वे राम को ही नकारने पर तुले है। उन्हें पाकिस्तान मे हिन्दुओ क़े साथ जो वर्ताव हो रहा है दिखाई नहीं देता। वे बंगलादेश क़े उन हिन्दू महिलाओ के साथ हो रहे अत्याचार को देख नहीं पाते कि कोई भी लड़की शील भंग से बची नहीं है। अगर यह सोचते है कि भारत बिना हिन्दुओ क़े सेकुलर रहेगा तो वह केवल भ्रम मात्र है। जम्मू-कश्मीर में केवल घाटी ही मुस्लिम बहुल था कोई भी हिन्दू बचा नहीं! सभी को कश्मीर छोड़ना पड़ा। एक कश्मीरी लड़की बिहार क़े बगहा में आई थी उसने समाज क़े सामने अपना जंघा दिखाया उस पर मुसलमानों ने गरम सलाखों से पाकिस्तान जिंदाबाद लिखा था। जो थोडा बहुत सिख बचे हुए है उनके लिए फरमान जारी हुआ कि सभी को मुसलमान बनना पड़ेगा। वास्तविकता यह है कि सेकुलर क़े नाम पर ये नेता देश द्रोह पर उतारू है कोई भी मुसलमान सेकुलर हो ही नहीं सकता सेकुलर क़ा अर्थ केवल हिन्दू बिरोध..।

गाँधी जी का रामराज्य 

 गाँधी जी ने 'रामराज्य' की कल्पना की थी रामराज्य क़ा अर्थ भी ये नेता समझने क़ा प्रयत्न नहीं करते। बाबर जो आक्रमणकारी था उसके बराबर राम को खड़ा करना चाहते है, श्रीराम इस देश क़े राष्ट्र पुरुष है वे राष्ट्रीयता क़े प्रतिक है। "मक्का से लेकर ब्रह्मदेश" तक भारत था इन्ही हमलावरों ने जबरदस्ती मुसलमान बनाया हिन्दू घटता गया और भारत घटता गया। आज "श्रीराम जन्मभूमि" पर "राम मंदिर" बनाने क़ा जद्दो-जेहाद हो रहा है यहाँ क़ा मुसलमान भारत में निष्ठां नहीं रखता पाकिस्तान बनने क़े बाद योजना बद्ध तरीके से गाधी-नेहरु की नीतियों क़े करण मुसलमान यहाँ रुक गया। अब वह देश द्रोह पर ऊतारू है इनकी निष्ठां बाबर, औरंगजेब, मुहम्मद गोरी और महमूद गजनवी में है न कि रहीम, रसखान और अब्दुल कलाम में।

भारतीय राष्ट्रीयता के प्रतीक राम 

अयोध्या में बिबाद क़ा मुख्य केंद्र वह ढाचा था जो विदेशी आक्रमणकारी द्वारा, हमारी पराजय और अपमान क़ा प्रतीक बन गया था। अब वहा ढाचा नहीं है भगवान की कृपा से उसे हिन्दू समाज ने समाप्त करके हजारो वर्षो क़े अपमान क़ा बदला ले लिया। भारतीय स्वाभिमान व राष्ट्रीयता क़े प्रतीक हमारे गौरव, आदर्श और एकता क़े वाहक वहा रामलला बिराजमान है। मंदिर आज बने या कल, वह तो बनेगा ही भगवान की पावन छाया से यह देश राष्ट्रीय एकता क़ा अधिष्ठान प्राप्त करे यही हममे से प्रत्येक क़ा मनोभाव होना चाहिए।

संघर्ष पर संघर्ष 

श्रीराम जन्म भूमि क़े लिए ये कोई नया आन्दोलन नहीं है। हिन्दू समाज ने ७४ बार इसके लिए लडाई लड़ी है इसमें लाखो लोग मारे गए है। हम सभी को पता है कि १९४९ दिसंबर २२ को अर्ध रात्रि क़े समय श्रीराम लला उस ढाचे क़े अन्दर बिराजमान हुए। १९ जनवरी १९५० को न्यायालय ने निर्णय दिया की रामलला वही रहेगे उनकी पूजा अर्चना की ब्यवस्था की जाय। एक  जनवरी १९८६ को जिला जज ने ताला खोलने क़ा आदेश दिया। भारतीय राष्ट्र पुनर्जागरण क़े करण ६ दिसम्बर १९९२ को बिबादित ढाचा को ढहा दिया गया। जनवरी १९९३ में उच्च न्यायालय ने रामलला की पूजा की ब्यवस्था की।

मुसलमानो को भड़काने का काम 

तत्कालीन राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने उच्चतम न्यायालय से पूछा कि उस स्थान क़ा मालिकाना हक़ किसका है! वास्तव में यह मुकदमा ६५ वर्ष पुराना है उसका फैसला आना है। सभी को पता है कि भगवान श्री राम की मूर्ति वहा से नहीं हटेगी पूजा अर्चना चलती रहेगी। वोट की राजनीती क़े चलते मुसलमानों को भड़काने क़ा कार्य हो रहा है, इस समय मुसलमानों को चाहिए की ख़ुशी-ख़ुशी हिन्दू समाज को स्वेच्छा से सौप दे तो भाईचारा बनाने में सुबिधा होगी। बाबर से नाता तोडना ही होगा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हिन्दू समाज से अपील की है की वे धैर्य बनाये रखे, हिन्दू तो शांति प्रिय है लेकिन मुसलमानों को कौन रोकेगा, दिग्बिजय जैसे नेता तो उन्हें भड़काने में ही लगे है । 
हे मुसलमानों तुम वोट की खेती मत बनो  इन सेकुलरिस्टो क़े बहकावे में मत आओ! ये तो अपने देश क़े नहीं है तो तुम्हारे क्या होगे--? ईश्वर तुम्हे सदबुद्धि दे कि तुम मुसलमान भाई -अयोध्या राम की थी राम की ही रहेगी बाबर से अपना नाता तोड़ लो यही समय की पुकार है कोई लादेन या कोई दाउद यहाँ नहीं आयेगा---!     
            

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11 टिप्पणियाँ

  1. इन धर्मनिरपेक्षवादी - शर्मनिरपेक्षवादी (सुरेश जी के शब्दों में) को समझाना होगा. नहीं तो देश फिर से आग कि लपटों से घिर जाएगा. और ये जिम्मेवारी भी इनकी है.

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  2. "हे मुसलमानों तुम वोट की खेती मत बनो इन सेकुलरिस्टो क़े बहकावे में मत आओ ये तो अपने देश क़े नहीं है तो तुम्हारे क्या होगे ईश्वर तुम्हे सदबुद्धि दे कि तुम मुसलमान भाई -अयोध्या राम की थी राम की ही रहेगी बाबर से अपना नाता तोड़ लो यही समय की पुकार है कोई लादेन या कोई दाउद यहाँ नहीं आयेगा."

    न नमकहराम वो भले, न हरामखोर ये भले !

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  3. गोदियाल जी आपकी टिप्पड़ी क़े हम सौ प्रतिशत कायल है -बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  4. बिल्कुल जी हम आपकी बात से सौ फीसदी सहमत हैं। क्यों छोड़े रामजन्म भूमि। क्या इस देश में हिन्दुओं के इतने बुरे दिन आ गए कि उन्हें अपने आराध्य की जन्मभूमि भी एक विदेशी अत्याचारी के लिए छोडऩा पड़ेगी। अयोध्या राम की थी, राम की है और राम की रहेगी।

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  5. .

    बहुत सुन्दर लेख, सहमत हूँ आपसे। इसी विषय पर निम्नलिखित लेख पर भी आयें। ...आभार।

    ठुमक चलत रामचंद्र , बाजत पैजनिया --रामकोट-अयोध्या -- और मेरा बचपन !

    http://zealzen.blogspot.com/2010/09/blog-post_19.html

    .

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  6. आप एक बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं. आप को नमन.. टिप्पणी कर्ताओं का भी आभार...

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  7. आप सभी भारत क़े नव- निहाल
    दीपक बाबा
    पी.सी.गोदियाल
    लोकेन्द्र सिंह राजपूत
    ZEAL
    भारतीय नागरिक
    हमारे पोस्ट पर आए बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  8. प्रिय महोदय सबसे पहले तो मै अपनी कविता -
    http://iamshishu.blogspot.com/2009/11/blog-post_26.html में हुयी त्रुटि के लिए क्षमा चाहता हूँ, मै इसे सुधार लूँगा, इस त्रुटि की तरफ ध्यान दिलाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद्! सही कहा गया है आलोचनाओं से सबक मिलता है.

    मैंने आपका पूरे का पूरा लेख ध्यानपूर्वक पढ़ा है! क्षमा करे मेरी उदंडता के लिए लेकिन लिखे बिना मेरा मन नहीं मान रहा-मुझे लगता है आप भावनाओ में बह गए हैं कही-कहीं पर आपकी भाषा काफी उग्र हो गयी है, ऐसा लगता है की आप अपनी बात पर ही अडिग है, और अपने विचारों को दूसरों पर थोपने का प्रयास कर रहे हैं.

    "तुम मुसलमान भाई -अयोध्या राम की थी राम की ही रहेगी बाबर से अपना नाता तोड़ लो यही समय की पुकार है कोई लादेन या कोई दाउद यहाँ नहीं आयेगा" इन लाइनों से लग रहा है की देश के जितने भी मुसलमान भाई हैं उनकी रक्षा का ठेका आपने या हिन्दू समर्थित संगठनों ने उठा रखा है. क्षमा करें! लेकिन मै आपके विचारों से सहमत नहीं हूँ.

    आपको यदि किसी प्रकार का कष्ट हुआ हो उसके लिए पुनः क्षमा प्रार्थी!

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  9. शिशुपाल जी अपने मेरा ध्यान जिस तरफ खीचा है वास्तव में बाबर तो भारत पर आक्रमणकारी था राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनना तो भारतीय संस्कृति पर हमला ही है अपने कहा की कुछ संगठन जो धमकी ---- जिसकी कोई जरुरत नही लादेन या दाउद प्रत्येक मुसलमान बन तो नहीं सकता और बने भी तो क्या-- हिन्दू कितना झेलेगा कश्मीर को तो हम देख ही रहे है.
    बिनाम्रता क़े साथ यदि मेरी बात अच्छी नहीं लगी तो मुझे वापस कर देना.

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  10. जब देश के शासक अपनी व्यक्तिगत निष्ठा और आस्था के अनुरुप देश की विदेश नीति बनाने लग जाए तो देश को संकटो मे घिरने से कौन बचा सकता है? ईसाईयो ने नेपाल मे हिन्दु समर्थक शक्तियो को घेर कर सत्ताच्युत किया। इस काम मे सोनिया की सरकार ने मात्र नही बल्की भारत की हिन्दु शक्तियो ने भी उनका भरपुर साथ दिया।

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  11. आखिर क्या चाहते हैं ये राज नेता सिर्फ वोट सत्ता के लिए अपनी पावन भूमि को किसी दूसरे के हाथों में सौप देना ।मुस्लिमों ने जाता बता दिया हम कहीं से कमजोर नहीं हैं।
    समस्त भारतियों को एकजुट होकर इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी जो भारतीय है उसे वन्दे मातरम गाना ही होगा जो ऐसा नहीं करता है उसको राजद्रोही देशद्रोही करार देकर दण्डित करना चाहिए ।

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