जगह-जगह तीर्थ क्षेत्र होने के कारण इसाई और इस्लाम मतावलंबियो की निगाहे भी इससे अछूती नही रही इन लोगो ने इस क्षेत्र में मकड़ी के जाल जैसी ही घेर रखा है, हमने यानी धर्मजागरण ने समाज जागरण की दृष्टि से हरिहर नाथ से मुक्तिनाथ यात्रा ३ अप्रैल को शुरू की मुक्तिनाथ नेपाल के दुर्गम स्थान कोई १२५०० फिट की उचाई पर स्थित है यह यात्रा १५०० किमी की हुई जिसमे जगह-जगह १९ स्थानों पर धर्म सभाए स्वागत कोई ६०० फ्लेग्स तोरण द्वार भगवा झंडो से सजा हुआ रास्ता, भव्य रथ क़ा पूजन जिसमे हजारो लोगो ने भाग लिया यात्रा में बलेरो, यसकार्पियो १५ वाहनों के साथ ८० लोगो की आठ दिनों में यात्रा सम्पन्न हुई, नेपाल में भी मठ-मंदिरों में स्वागत और सभाए हुई.
प्रथम चरण तो पूरा हुआ अब जागरण के पश्चात् जहा-जहा इशाई करण हुआ है वहा घर वापसी क़ा काम शुरू करना और यही गद्दियो [मुसलमान] क़ा क्षेत्र है जहा मुग़ल काल में यादव बंधुओ ने इस्लाम स्वीकार तो किया लेकिन अभी तक वे अपनी यानी हिन्दू परंपरा ही मानते है यह वही क्षेत्र है अब यादव सम्मलेन करके घर वापसी का वातावरण बनाना और उन्हें वापस लाना इस पर हम काम कर रहे है, भविष्य में एक अच्छी परंपरा क़ा लाभ मिलेगा, मुक्तिनाथ केवल दक्षिण के [कर्णाटक, आंध्र, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात ] तीर्थ- यात्री जाते थे इस यात्रा के माध्यम से उत्तर भारत और नेपालियों की रूचि बढ़ाने क़ा काम हुआ है जिसका लाभ दीर्घा काल में मिलेगा, ज्ञातब्य हो कि वहा जाने के लिए प्रति ब्यक्ति ४०० रु. जजिया कर जैसा देना पड़ता है वैसे तो फ्लाईट से पोखरा से जुमसुम जायेगे तो भी भारतीयों दुगुना- तिगुना वसूला जाता है जब की भारत में किसी भी नेपाली से तीर्थ यात्रा के नाम पर कोई अतिरिक्त धन नहीं लिया जाता बल्कि उन्हें और सुबिधा दिया जाता है भारतीयों के जाने से नेपाल को पर्याप्त लाभ होता है इस पर भारत और नेपाल दोनों सरकारों को ध्यान देना चाहिए.
इस यात्रा के माध्यम से नारायणी नदी के किनारे-किनारे तीर्थ क्षेत्रो को जागृत करना उनका पुनिर्माण कराना बिधर्मियो द्वारा राष्ट्र बिरोधी कार्यो पर रोक लगाना, चर्च द्वारा मतान्तरण की गिद्ध दृष्टि से दूर रखना इसका उद्देश्य है इस पुण्य दायिनी यात्रा से भारत और नेपाल के सम्बंधो को और बल मिलेगा.
1 टिप्पणियाँ
शानदार प्रस्तुति...
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