युद्ध होने से पहले ही युद्ध जीता
महाभारत का युद्ध होने वाला था सेनाएँ आमने- सामने खड़ी थी सभी महारथी अपना- अपना युद्ध-कला कौशल दिखाने को आतुर थे एका-एक दिखाई दिया जेष्ठ कुंती पुत्र युधिष्ठिर कौरव पक्ष की तरफ चले जा रहे हैं महान धनुर्धर अर्जुन जिन्हें अपने पराक्रम से युद्ध जीतना है ऐसा जिसका विस्वास-! पांडु पक्ष सेनापति धृष्टधुमन जिन्हे अपनी व्यूह रचना मे विस्वास था सभी चकित-! महावीर अर्जुन, कृष्ण की तरफ मुखातिब यह क्या-? देखा कि युधिष्ठिर गुरु द्रोणाचार्य के पास आशीर्वाद और युद्ध की आज्ञा मांगते रहे हैं द्रोणाचार्य ने उन्हे प्रसंद हृदय से आशीर्वाद देते हुए युद्ध का आदेश दिया, वे पितामह की तरफ मुड़े चरण स्पर्श करते हुए युद्ध की आज्ञा मांगी भीष्म पितामह प्रसन्न हो दोनों हाथ उठा आशीर्वाद दिया विजयी भव पुत्र---! तुमने युद्ध क्षेत्र में भी अपनी सहृदयता नहीं छोड़ी तुम धन्य हो पुत्र धन्य हो !
अब अर्जुन की बारी
भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा की हे पार्थ आधा युद्ध तो बड़े भैया ने तो पहले ही जीत लिया अब आधा युद्ध तुम्हें अपने पराक्रम से जितना है तब अर्जुन को ज्ञात हुआ की यह रचना भगवान की ही बनाई थी, ऐसी विनम्रता थी युधिष्ठिर मे और अपने ब्यवहार से उन्होने अपने बिरुद्ध लड़ रहे योद्धाओं की केवल सहानुभूति ही नहीं तो विजय का आशीर्वाद भी प्राप्त किया ऐसे थे जेष्ठ कुंतीपुत्र युधिष्ठिर।
जीत का श्रेय
अभ्युत्थानंधर्मस्य तदात्मानं श्रीजाम्यहम
भगवान कहते हैं जब-जब धर्म की हानी होती है मै आता हूँ बिधिर्मियों का संहार करने और वे आये भारत में धर्म स्थापना हेतु बिधर्मियों का संहार किया, महाभारत का युद्ध हो चुका था पांडवों ने अपनी राजधानी इन्द्रप्रस्थ से हस्तिनापुर लाये, सभी राजा- महराजा भगवान श्रीकृष्ण के साथ बैठे थे अहंकार सिर पर बैठा था सभी अपनी प्रसंशा में ब्यस्त थे महाबली भीम का अहंकार बोला की मैंने कौरव के सभी सौ भाईयों को मैंने मारा इसलिए यह युद्ध मैंने जीता, सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन बोले की सभी सेनापतियों -महारथियों को मैंने मारा इस नाते मैंने युद्ध जीता दोनों भाइयों में कहासुनी होने लगी भगवान ने देखा ये तो बात बढ़ती जा रही है अहंकार का टकराव जारी था तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा की एक ब्यक्ति है जिसने पूरा युद्ध देखा है वही बता सकता है की कौन युद्ध में सर्बाधिक योधाओं को मारा और किसने जीता महाभारत ------?और बर्बरीक
महाभारत शुरू होने वाला ही था की भीम का पौत्र बर्बरीक आया कहा मै अकेले ही कौरव और पांडवों दोनों सेनाओ को समाप्त कर सकता हूँ श्रीकृष्ण ने देखते ही सब ध्यान में आ गया चक्रसुदर्शन से उसका सिर काटकर एक पहाड़ी पर रख दिया था भगवन ने अर्जुन से कहा वही एक है जो सब कुछ देख रहा था उसे लेकर आओ बर्बरीक लाया गया भगवन श्रीकृष्ण ने उससे पूछा, इस महायुद्ध में महाबली भीम ने युद्ध जीता अथवा गांडीव धारी अर्जुन तुमने क्या देखा किसने सबका संहार किया उसने सत्य वाचन किया कहा भगवन मैंने न तो अर्जुन के गांडीव से निकलते हुए वाड़ों को देखा न ही भीम के गदा को, वहां तो एक चक्र सुदर्शन ही दिखाई दे रहा था जिसने सभी का संहार किया, सभी का अहंकार अपने-आप चखना चूर हो गया यही बर्बरीक ही खाटू श्याम के नाम से जाने जाते हैं इन्हें भगवान श्रीकृष्ण का ही अंश माना जाता है.भगवान इसी प्रकार स्वयं सब कुछ करते हुए पूरा श्रेय अपने भक्तों को देते हैं ऐसे हैं हमारे ईष्ट --------!