अथश्री महाभारत कथा ---जब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों के अहंकार को नष्ट किया-------!

यदा-यदाहिधर्मस्य ग्लानिर्भवत भारत,

अभ्युत्थानंधर्मस्य तदात्मानं  श्रीजाम्यहम

भगवान कहते हैं जब-जब धर्म की हानी होती है मै आता हूँ बिधिर्मियों का संहार करने और वे आये भारत में धर्म स्थापना हेतु बिधर्मियों का संहार किया, महाभारत का युद्ध हो चुका था पांडवों ने अपनी राजधानी इन्द्रप्रस्थ से हस्तिनापुर लाये, सभी राजा- महराजा भगवान श्रीकृष्ण के साथ बैठे थे अहंकार सिर पर बैठा था सभी अपनी प्रसंशा में ब्यस्त थे महाबली भीम का अहंकार बोला की मैंने कौरव के सभी सौ भाईयों को मैंने मारा इसलिए यह युद्ध मैंने जीता, सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन बोले की सभी सेनापतियों -महारथियों को मैंने मारा इस नाते मैंने युद्ध जीता दोनों भाइयों में कहासुनी होने लगी भगवान ने देखा ये तो बात बढ़ती जा रही है अहंकार का टकराव जारी था तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा की एक ब्यक्ति है जिसने पूरा युद्ध देखा है वही बता सकता है की कौन युद्ध में सर्बाधिक योधाओं को मारा और किसने जीता महाभारत ------?

और बर्बरीक

महाभारत शुरू होने वाला ही था की भीम का पौत्र बर्बरीक आया कहा मै अकेले ही कौरव और पांडवों दोनों सेनाओ को समाप्त कर सकता हूँ श्रीकृष्ण ने देखते ही सब ध्यान में आ गया चक्रसुदर्शन से उसका सिर काटकर एक पहाड़ी पर रख दिया था भगवन ने अर्जुन से कहा वही एक है जो सब कुछ देख रहा था उसे लेकर आओ बर्बरीक लाया गया भगवन श्रीकृष्ण ने उससे पूछा, इस महायुद्ध में महाबली भीम ने युद्ध जीता अथवा गांडीव धारी अर्जुन तुमने क्या देखा किसने सबका संहार किया उसने सत्य वाचन किया कहा भगवन मैंने न तो अर्जुन के गांडीव से निकलते हुए वाड़ों को देखा न ही भीम के गदा को, वहां तो एक चक्र सुदर्शन ही दिखाई दे रहा था जिसने सभी का संहार किया, सभी का अहंकार अपने-आप चखना चूर हो गया यही बर्बरीक ही खाटू श्याम के नाम से जाने जाते हैं इन्हें भगवान श्रीकृष्ण का ही अंश माना जाता है.
      भगवान इसी प्रकार स्वयं सब कुछ करते हुए पूरा श्रेय अपने भक्तों को देते हैं ऐसे हैं हमारे ईष्ट --------!