सूफियों द्वारा भारत का इस्लामीकरण १-बहराइच (उप्र) के गाजी मियां, मेले का सच--!

        

सूफियों द्वारा भारत का इस्लामीकरण-!

भारतीय इतिहास यह बताता है की इन सूफियों ने सीधे-सादे हिन्दुओं को संत के नाम पर ठगने का काम किया। कपडे भी पीले पहने जिससे हिन्दू समाज भ्रम में पद जाय, ये इस्लामिक आक्रमण कारियों के लिए ख़ुफ़िया तंत्र का केवल काम ही नहीं तो कहीं- कहीं तो प्रत्यक्ष युद्ध में तलवार उठाने में नहीं चूकते थे। इनका मूल उद्देश्य भारत वर्ष का इस्लामी करण ही था सर्वाधिक इस्लामीकरण इन सूफियों द्वारा हुआ यह इसका प्रमाण है।

कौन था सलार मसूद ?

यह सुल्तान महमूद गजनवी के बहन का पुत्र था इसका नाम सलार मसूद था चार ही वर्ष से इसको इस्लामिक शिक्षा दी गयी थी, यह उन सूफियों में था जिन्होंने तलवार लेकर भारत में इस्लामीकरण हेतु घुसे उसमे सिपहसालार मसूद गाजी भी था। जिसे साधारणतया ''गाजी मियां'' के नाम से जाना जाता है यह स्थान उत्तरप्रदेश के बहराईच जिला में स्थित है इसी ने सोमनाथ मंदिर को तोडवाने हेतु महमूद गजनवी को प्रेरित किया था। प्रारंभ से हिन्दुओं के सामने एक ही प्रस्ताव ''इस्लाम अथवा मृत्यु'' यह पंजाब के रास्ते बहराइच पंहुचा और हजारों हिन्दुओ का कत्ल किया जो यद्ध में मुसलमान मारे गए रास्ते में जगह-जगह उनकी मजारें बनी हुई हैं इसने ''गाजी'' की उपाधि ग्रहण की यानी काफिरों का बध करने वाला। उसने १७ वर्ष की आयु में पचास हज़ार घुड़सवार लेकर सिन्धु नदी पार की, इस्लामिक सेना ने जन-जीवन को तबाह कर दिया। मुल्तान के राजा ने पूछा हमारी भूमि पर आक्रमण का क्या औचित्य है--? उसने बताया कि ''भूमि अल्लाह की है वह अपने बन्दों को देता है यह काफिरों के लिए नहीं है''। काफिरों को मुसलमान बनाना हमारा कर्तब्य है यदि वे इस्लाम स्वीकार नहीं करते तो उनका बध आवश्यक है वर्षात का समय था मुल्तान में ''इस्लाम अथवा मृत्यु'' का अभियान जारी रखा अब उसने अवध की ओर प्रस्थान किया ।

काफिरों को समाप्त करने आया हूँ 

मसूद ने गंगा पार कर मिश्रिख -नैमिषारण्य (सीतापुर) हिन्दुओं का पवित्र तीर्थ में उसने डेरा डाला, इस्लामीकरण हेतु अपने सैनिको को भेजते समय मसूद ने कहा ''तुम्हे अल्लाह को सौपते हैं जहाँ जावो वहां हिन्दुओ को समझा-बुझाकर मुसलमान बनाओ अन्यथा क़त्ल कर देना।'' वे सभी गले मिलकर अपनी-अपनी दिशा की ओर चल दिए, एक मुस्लिम इतिहासकार लिखता है। ''कैसा अद्भुत दृश्य है, कैसी अद्भुत मित्रता ? कैसा अद्भुत विस्वास है ! केवल इस्लाम के प्रचार के लिए बिना किसी भय के इस प्रकार कुफ्र के समुद्र में कूद पड़ना।''  यहाँ के राजाओं ने मसूद को दूत द्वारा सन्देश भेजा- यहाँ से अपने देश वापस चले जाओ नहीं तो युद्ध के लिए तैयार हो जावो, मसूद ने उत्तर दिया मै मौज मस्ती के लिए नहीं आया हूँ हम यहीं रहेगे और इस भूमि से कुफ्र और काफिरों को समूल नष्ट कर देगें।

हिंदुओ का प्रतिकार और राजा सुहेलदेव  

सलार मसूद के सिपहसालार सैफुद्दीन ने बहराइच में तुरंत सहायता मागी मसूद ने उसकी सहायता के लिए प्रस्थान किया। बहराइच में हिन्दुओं का प्रसिद्द तीर्थ स्थान "सूरज कुण्ड" हुआ करता था वहां सूर्य देवता की एक भब्य प्रतिमा थी। देश भर से हजारों हिन्दू सूर्य ग्रहण के दिन पूजा अर्चना अथवा स्नान हेतु आते थे मसूद को यह देखकर अपार कष्ट होता था। इस क्षेत्र को हिन्दू राजाओं ने महाराज सुहेलदेव के नेतृत्व में अपनी- अपनी सेना लेकर घेर लिया कई बार युद्ध हुआ, भीषण युद्ध में १५जुन १०३३ को सायंकाल राजा सुहेलदेव ने उसे मार गिराया। पूरी मुस्लिम सेना समाप्त हो गयी मसूद की मृत्यु के पश्चात् उसे वहीँ कुण्ड के पास दफना दिया गया। बाद में इस्लामिक शासन हो जाने के कारण यह "सूरज कुण्ड" का मेला तीर्थ, गाजी मियां के मेला रूप में परिवर्तित कर दिया गया। आज भी वहां जाते समय सभी हिन्दू समाज रविवार को अपनी रीती से जहाँ भी पानी मिलता है स्नान करता है और उसी भाव से जाता है। कैसा दुर्भाग्य है हिन्दुओं का जो गाजी हजारों हिन्दुओ को मुसलमान बनाया हजारों मंदिरों को नष्ट किया उसी की पूजा करने जाता है, जिसने उस अपराधी का बध किया हिन्दू धर्म रक्षक राजा सुहेलदेव को कितने लोग जानते हैं----?  
         हिन्दुओ---! तुम धन्य हो तुम उनकी पूजा करते हो जिनका ध्येय तुम्हे मिटाना ही था! और धन्य है हिन्दू समाज के वे लाखों धर्मगुरु साधू, सन्यासी जो इन अनिभिज्ञ लोगों को इस प्रकार की पूजा से बिरत करने का कोई प्रयास नहीं करते ! ऐसे समाज को नष्ट हो जाने में क्या कोई संदेह हो सकता है---?
सूबेदार जी 
मुजफ्फरपुर    

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1 टिप्पणियाँ

  1. इतिहास के पन्नों में छुपी हकीकत का तो पता ही नहीं लगनें दिया जा रहा है !

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