मुक्तिनाथ यात्रा के लक्ष्य औऱ उद्देश्य----!

यात्रा भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा है


हमारी संस्कृति जिसे हम नदीय, वनीय संस्कृति भी कह सकते हैं, कोई भी यात्रा बिना किसी उद्देश्य के नहीं निकाली जाती हमारे पूर्बजों ने हिन्दू समाज को सुसंस्कृत करने के बहुत सारे उपाय किये जिसमें एक माध्यम यात्रा भी है, जैसा कि हम जानते हैं वैदिक धर्म का प्रारंभिक स्वरूप सरस्वती नदी के किनारे हुआ जहाँ भगवान ब्रह्मा जी के कंठ में वेद आया ब्रम्हा जी ने अपने शिष्यों वायु, अंगिरा, अग्नि और आदित्य को कंठस्थ करा अपने मानस पुत्रों तथा ऋषि अगस्त, लोपामुद्रा इत्यादि को दिया इन ऋषियों ने सरस्वती नदी के किनारे गुरुकुल खोलकर मानव जाति को यह ज्ञान दिया।

धर्म क्या है---?

आज यह उत्कृष्ट संस्कृति जिसमें सदाचार, मानवजीवन का ब्यवहार, परिवार संस्था, माता पिता के साथ, बहन का भाई के साथ, गाँव में बड़े छोटे के साथ कैसा ब्यवहार हो यह सब तय किया, सारे भारत में हमारे ऋषियों, सन्तों आचार्यों ने इसी संस्कृति को आगे बढ़ाने हेतु विभिन्न प्रकार के आंदोलन किया जिसने मानव जीवन को प्रभावित किया कोई आदि जगद्गुरु शंकराचार्य रहे होंगे अपने शास्त्रार्थ के बल हिन्दू संस्कृति की पुनर्स्थापना किया उसी प्रकार रामानुजाचार्य ने वैष्णव संप्रदाय के माध्यम से सारे भारत में इसी संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम किया, स्वामी रामानंद जी ने विशिष्टाद्वैत को माध्यम बना समरस समाज के निर्माण की भूमिका निभाई इन सन्तों ने विभिन्न प्रकार की यात्रा कर समाज को जागृत करने का काम किया इतना ही नहीं महर्षि दयानंद सरस्वती ने कुंभ में पाखंड नशिनी पताका फहरा हिन्दू समाज मे देश आजादी हेतु कहा "बिना स्वराज के स्वधर्म नहीं हो सकता" ।

यात्रा का उद्देश्य---!

मैं इन्ही ऋषियों, सन्तों और महापुरुषों को ध्यान में रखते हुए इस यात्रा की शुरुआत की गई हम सभी जानते ही है कि यह यात्रा आदि जगतगुरू रामानुजाचार्य ने प्रारम्भ किया था वे सुदूर दक्षिण के थे और सुदूर उत्तर में नारायणी नदी जिसे सालिग्रामी, काली गंडकी इत्यादि नामो से जानते हैं, इसी नदी में भगवान सालीग्राम पाये जाते हैं इस नदी का उद्गम मुक्तिनाथ, दामोदार कुण्ड में है इस यात्रा का एक और महत्व है गज ग्राह का युध्द इसी नदी में हुआ था जिसका वर्णन कई पुराणों ने विस्तार से किया है जहाँ युद्ध समाप्त हुआ वह स्थान नारायणी और गंगा जी का संगम है, यहीं पर विश्व प्रसिद्ध मंदिर हरिहरनाथ स्थित है, धर्म जागरण के कार्यकर्ताओं ने बिचार पुर्बक इस यात्रा को निकालने का निर्णय किया सभी अपने के लक्ष्यों को ध्यान में रख हम उसी उद्देश्यों को कैसे पूरा कर सकते हैं, कार्यकर्ताओं ने विचार किया देश में दो विकट समस्या है।
1. धर्मांतरण 2. सामाजिक समरसता
इन विषयो को ध्यान में रख सर्बप्रथम हरिहरनाथ मुक्तिनाथ सांस्कृतिक यात्रा प्रारम्भ की गई लेकिन कार्यकर्ताओं ने पुनः विचार कर प्रदेश के अंदर समाजिक समरसता की बिगड़ती स्थिति तथा चर्च के षड़यंत्र, मस्जिद- मदरसों द्वारा संचालित लवजेहाद तथा क़ुछ लोग हमारी संस्कृति को दलित मुस्लिम एकता के नाम पर दलितों को बरगलाने का काम इन सारे विषयों को लेकर समाज जागरण हेतु यात्राओं की श्रृंखला शुरुआत की गई।
1. ऋषि वाल्मीकि यात्रा-------- यह यात्रा हरिहरनाथ से वाल्मीकि नगर तक 300किमि की है।
2. हुतात्मा अमरसिंह यात्रा------ यह यात्रा पटोरी (समस्तीपुर) से हरिपुर तक 100 किमि की है।
3. सीतामढ़ी यात्रा ---------------- यह यात्रा हरिपुर से सीतामढ़ी वर्गनिया तक 175 किमी की है ।
4. पूरणदेबी यात्रा ---------------- यह यात्रा गोकुल ठाकुर वाड़ी पूर्णिया से सीतामढ़ी 300 किमी की है।
5. विष्णुपाद मंदिर यात्रा --------- यह यात्रा विष्णुपद मंदिर गया से हरिहरनाथ, सोनपुर 150 किमी की है।

यात्रा के बढ़ते चरण--!

यात्रा मेंसमाज जागरण मतांतरण रोकने, समाजिक समरसता लाने तथा लव जिहाद रोकने हेतु संवेदनशील जिला, प्रखंड का चयन प्रत्येक संवेदनशील गांवों में धर्म रक्षा समति का गठन कर समाज का संगठन व जागरणका कार्य।
एक आँकड़े के अनुसार इस वर्ष यात्राओं में इस प्रकार कार्यक्रम की सफलता रही है !
यात्रा कुल   5  यात्रायें 24 जिला के 59 प्रखण्ड में गई जिसमें 34 खंडो में संयोजक 28 स्थानों पर स्वागत तथा 24 धर्म सभाओं में 34750 श्रद्धालु उपस्थित रहे।

जनजागरण करती यात्रा

इस प्रकार यात्राओं के माध्यम से जहाँ सैकड़ों गांवों में जागरण हुआ वहीँ बड़ी संख्या में धर्म सभाएं की गई धर्मांतरण, समरसता और लव जिहाद पर जन जनजागरण करने का प्रयत्न किया गया, हिंदुत्व, भारतीयता, गाँव की संस्कृति, धर्म क्या है देश भक्ति तथा मठ, मन्दिरों की भूमिका साधू सन्यासियों का सामाजिक योगदान हमारे महापुरुषों द्वारा बताये गए सात्विक रास्ते सभी विषयों पर बृहद प्रकाश डाला गया।
यात्रा में धीरे धीरे समाज के बड़े बड़े संत महात्मा जैसे जगद्गुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री श्रीधराचार्य पूर्व गृह राज्यमंत्री महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती आये वही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल जी, अ भा बौध्दिक प्रमुख मा स्वान्त रंजन जी  मा इंद्रेश कुमार जी, क्षेत्र प्रचारक मा रामदत्त जी सह क्षेत्र प्रचारक रामनौमी जी, प्रान्त प्रचारक क्षेत्र संपर्क प्रमुख मा अनिल कुमार जी तथा मा रामकुमार जी सहित बड़े बड़े राजनेता केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, रामकृपाल यादव, नंदकिशोर यादव, डॉ प्रेम कुमार और डॉ संजय पासवान इत्यादि भागलिये एक बड़ी उपलब्धि देश के बड़े सामाजिक कार्यकर्ता जो देश का सबसे बड़ा कुष्ट रोगियों का आश्रम तथा अन्य समाज सेवा का कार्य करने वाले हमारे श्रद्धेय श्री आशीष गौतम का भी आशीर्बाद प्राप्त हुआ।
आगे समाजिक विसमता चर्च के षड़यंत्र तथा मखतब मदरसों के देशद्रोही गतिविधि को देखते हुए बांका जिले के मंदार पर्वत के वनबासी क्षेत्र, कोशी क्षेत्र के बांग्लादेश घुष्पैठिये तथा रोहिताश जिला के रोहतास गढ़ जिसे उरांव जनजाति का वर्जिन स्थान है को ध्यानपूर्वक तीन नयी यात्रायें निकलने की योजनाएं बनाई जा रही हैं।

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2 टिप्पणियाँ

  1. हरिहरनाथ क्षेत्र कुरुक्षेत्र मुक्तिनाथ क्षेत्र और वाराह क्षेत्र यह चार जम्मू द्वीप के प्रमुख धर्म क्षेत्र है |हरिहरनाथ भगवान का दर्शन करके भगवती नारायणी और मा गंगा के संगम तटसे प्रारंभ यात्रा मुक्तिनाथ क्षेत्र तक जाकर भगवान मुक्तिनाथ का दर्शन करके पूर्ण होती है| इस कार्यक्रम को करा कर मान्यवर धर्म जागरण प्रमुख विहार क्षेत्र श्रीमान सूबेदार जी ने धार्मिक आस्तिक जनता का अत्यंत उपकार तो किया ही है साथ ही भारत और नेपाल अलग-अलग शरीर होते हुए भी एक आत्मा है हमारी और नेपाल की आत्मीय एकता का भी दिग्दर्शन कराया है इसके लिए उन्हें कोटिसः साधुवाद बारंबार प्रणाम

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  2. बृजेश सिंह जिला कार्यवाह सोनभद्र

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