भारत माता --------- कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी-2

          कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी, आखिर वह कौन सी बात है उसे समझाना जरुरी है ,वह है हमारा धर्म और हमारी संस्कृति ''ये विजई सिकंदर क़ा बेबाक बेडा न आबे में डूबा न जम-जम में डूबा ,आ करके गंगा जहाने में डूबा'' हमारी संस्कृति सबको पचाने वाली है ,हमारे भक्ति आन्दोलन जो हमारे महापुरुषों ने मध्य काल में चलाया वही एक बर्ग ने ससत्र संघर्ष किया सम्पूर्ण भारत एक साथ खड़ा हुआ कही पर बाप्पारावल ,राणाप्रताप , कही पर शिवा जी , कही बीर छात्रशाल ,गुरु गोविन्द सिंह, बैरागी ,भाई मतिदास अखिल भारतीय स्वरूप दिया। समय-२ पर पूरे भारत में स्थान- २ पर अलग -२ संघर्ष हुए, फिर उनका अखिल भारतीय स्वरुप हो गया। हमारी असली ताकत संगठन है ,हमारी बोली भाषा अलग -२ होने के बावजूद धार्मिक रूप से हम एक है उत्तर क़ा हिन्दू सुदुर दक्षिण रामेश्वरम, बालाजी तिरुपति जाना ,दक्षिण क़ा हिन्दू बद्रीनाथ, केदारनाथ, काशी क़ा दर्शन चाहता है, पश्चिम क़ा हिन्दू गंगा सागर क़ा स्नान तो जगनाथ जी क़ा भात तथा कामरूप क़ा दर्शन चाहता है.वैसे ही पूरब क़ा हिन्दू सोमनाथ,द्वारिका क़ा दर्शन चाहता है।
        अदि जगद्गुरु शंकराचार्य, आचार्य चाणक्य और दयानंद सरस्वती इत्यादि संतो ने जो एकता क़ा सन्देश हमें दिया ,समय -२ पर वह परिलक्षित होता है ,देश आज़ादी के समय सभी क्रन्तिकारी अलग -२ रह्ते हुए एक मंच पर न रहते हुए भीएक दुसरे क़ा सहयोग किया। जब चीन ,पाकिस्तान से युद्ध हुआ तो एकता दिखी ,श्री राम जन्मभूमि क़ा संघर्ष हो या रामसेतु क़ा हमने एकता क़ा प्रदर्शन किया। जिस प्रकार हिन्दुओ पर अत्याचार होरहा है बिभिन्न स्थानों पर छोटे -२ समूह में हिन्दू लड़ रहा है ,कही बरुन गाधी होगे तो कही योगी आदित्य नाथ होगे, तो कोई कर्णाटक में श्रीराम सेना होगी ,छत्तीसगढ़ में धर्मसेना होगी। समय आने पर सभी एक छतरी के निचे इक्कट्ठा होगे । एक अरब हिन्दुओ से मुसलमान , क्रिश्चियन लड़ने में सफल नहीं हो सकता हमें अपने शौर्य क़ा प्रदर्शन करना होगा।।
हमारी एकता के सूत्र ।11
1-वेद केवल हिमालय, सरस्वती के किनारे ही नहीं बल्कि पूरे भारत में ऋषियों ने लिखा .जैसे दीर्घतमा बैशाली क़ा बिश्वमित्र कान्यकुब्ज के भार्गव हहव गुजरात के यालुश नर्मदा के ऐसे वेदों के रचयिताओ क़ा ।
2-चाणक्य, चन्द्रगुप्त ने एकता का स्वरूप दिया।
3-आदि जगतगुरु शंकराचार्य ने भारत को संगठित स्वरुप दिया।
4-देश गुलाम था उस समय स्वामी दयानंद ने पूरे भारत में साँसकृतिक ,राजनैतिक संगठनात्मक. स्वरुप दिया।

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