सर्वपल्ली राधाकृष्णन-- एक बोध कथा

              डॉ.राधाकृष्णन किसी परिचय क़े मोहताज न होकर भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में अपनी अलग ख्याति रखते थे वे बहुत बड़े दार्शनिक थे भारतीय चिती क़े बारे में ये कहना कि वे भारतीय पहचान थे तो कोई अतिसयोक्ति नहीं होगी वे वेदों, गीता व भारतीय वांगमय पर पूरा अधिकार रखते थे मूलतः अध्यापक होने क़े नाते उनके जन्मदिन ५ सितम्बर को शिक्षक  दिवस क़े नाते मनाकर हम उनके प्रति कृतज्ञता अर्पित करते है लेकिन आज हम उनसे संबंधित एक चुभने वाली कथा लिख रहा हू.
        डॉ.राधाकृष्णन अमेरिका गए थे जब वे कहीं   जाते तो कोई न कोई यूनीवर्सिटी उन्हें भाषण हेतु बुलाती वे एक सेमिनार में भारतीय संस्कृति पर बोल रहे थे उस दिन क़ा विषय भागवत गीता था, उन्होंने गीता की प्रासंगिकता पर अच्छा प्रकाश डाला कि दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान गीता में है जिसे सभी को पढना चाहिए, कार्यक्रम समाप्त हुआ लोग जलपान पर बैठे थे तभी एक अमेरिकन राधाकृष्णन क़े पास आया उनके भाषण की प्रसंशा करते हुए कहा कि सब कुछ ठीक था पर एक बात समझ में नहीं आयी, मै आपके भाषण और फिलासफी से बड़ा निराश हुआ, डॉ.साहब चौंके क्या हुआ --? उसने कहा कि मै कई वर्ष भारत में रहा हू वहा क़े शिक्षा जगत क़ा मैंने अध्ययन भी किया है  जहा तक मेरी जानकारी है कि गीता जो सम्पूर्ण विश्व क़ा सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है वह शिक्षा क़े किसी पाठ्यक्रम में नहीं है, क्या यह ज्ञान जो सर्वश्रेष्ठ है आप अपने भारत क़े विद्यार्थियों को नहीं देना चाहते ? सारे इस्लामिक देशो में कुरान, और ईसाई देशो में बाइबिल पाठ्यक्रम में सामिल ही नहीं अनिवार्य है, भारत में गीता पाठ्यक्रम में क्यों नहीं है ? डॉ राधाकृष्णन निरुत्तर हो गए और फिर उन्होंने गीता क़े ज्ञान क़ा वर्णन करना बंद कर दिया .
       इस सेकुलर देश क़े विद्वान राष्ट्रपति होने क़े करण अपने ग्रंथो को पाठ्यक्रम में सामिल न कर सके जिससे यह महानतम ज्ञान भारतीयों को मिलता और भारत, भारत बनता रहता और इंडिया की तरफ नहीं जाता . .

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4 टिप्पणियाँ

  1. यह कुछ हजम नही हुआ। सर्वपल्ली राधाकृष्ण्ण ने जो किया वह देखना चाहिए। अपनी क्षमताओ की कमी वा किसी अन्य कारण से वह जो न कर पाए उसकी चर्चा करना बेकार है। सर्वपल्ली रा.कृ भारतीय एवम विश्व के अन्य दर्शन शास्त्र की अच्छी समझ रखते थें।

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  2. बेनामी जी क्षमा करियेगा डॉ.राधाकृष्णन क़े प्रति हमारी कोई दुर्भावना नहीं है लेकिन अपनी योग्यता को सेकुलर स्टेट होने क़े करण वे भारत को जो दे सकते थे वह दे नहीं सके , वे बड़े महान थे उनकी बारे में बहुत पढ़ा भी है उनके प्रति बड़ी श्रद्धा भी है.

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  3. शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

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