पाँच हज़ार वर्ष पहले का राष्ट्र गीत-
हमारे यहाँ कुछ तथाकथित बिद्धिजीवी तथा वामपंथियों की अवधारणा है की भारत एक राष्ट्र था ही नहीं न ही उसकी कोई राष्ट्रीयता ही थी उन्हें शायद यह ध्यान में नहीं की ऋग्वेद में जो लाखों वर्ष पहले इस धरती पर आया जो अपौरुषेय है वो लिखता है "वयं राष्ट्रे जाग्रयाम् पुरोहिता " और उपनिषद महाभारत तथा अन्य ग्रंथों में भी देश भक्ति और राष्ट्रीयता का वर्णन है। लेकिन हमारे राष्ट्रीय अभ्युत्थान के लिए महाभारत का विशेष स्थान यह है कि वह प्राचीन भूगोल, समाजशास्त्र, शासन सम्बन्धी संस्था, निति और धर्म के आदर्शों की खान है. वेदव्यास जिस भारत राष्ट्र की उपासना करते थे, भविष्य का हिन्दू उसका स्वप्ना देखेगा, उनका निम्नलिखित राष्ट्रगीत हमारे इतिहास का सनातन मंगलाचरण होगा ।अत्र ते कीर्तयिष्यामि वर्ष भारत भारतम ।
प्रियमिन्द्रस्य देवस्य मनोर्वैवस्वतस्य च ।।
पृथोस्तु राजंवैन्यस्य तथेक्ष्वाकॉमहातमनः ।
ऋषभस्य तथैलस्य नृगस्य नृपतेस्तथा ।।
कुशिकस्य च दुर्धष गधेश्चैव महात्मनः ।
सोमकस्य च दुर्धर्ष दिलीपस्य तथैव च ।।
यंयेषां च महाराज क्षत्रियानां बलीयसाम ।
सर्वेषामेव राजेंद्र प्रियं भारत भारतम ।।
भावार्थ -------
आओ, हे भारत, अब मैं तुम्हे भारत देश का कीर्तिगान सुनाता हूँ, वह भारत जो इंद्र देव को प्रिय है, जो मनु, वैवस्य, आदिराज पृथु, वैन्यऔर महात्मा इक्ष्वाकु को प्यारा था, जो भारत ययाति, अम्बरीष, नहुष, मुचुकुन्द और औशीनर शिवि को प्रिय था, ऋषभ, एल और नृग जिस भारत को प्यार करते थे, और जो भारत कुशिक, गाधि, सोमक, दिलीप और अनेकानेक वीर्यशाली क्षत्रीय सम्राटों को प्यारा था, हे नरेंद्र, उस दिव्य देश की कीर्ति कथा मैं तुम्हे सुनाता हूँ।( महाभारत शांति पर्व )
2 टिप्पणियाँ
बामपंथियों को भारतीय राष्ट्रवाद समझ मे नहीं आता वे १५० वर्ष से पीछे नहीं जाना चाहते नहीं तो पश्चिम के सारे के सारे सिद्धान्त धरे के धरे रह जायेंगे क्योंकि भारतीय राष्ट्रवाद तो वैदिक क़ालीन है जो लाखों करोड़ों वर्ष पुराना है।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही
जवाब देंहटाएंभारत देश तो देवताओं को भी प्रिय था
यहाँ जन्म लेना ही सौभाग्य की बात है
जय माँ भारती