शुभ दीपावली -----अधर्म पर धर्म का विजय उत्सव- जो भारत का राष्ट्रीय पर्व बन गया

हे आर्यों यह भूमि तुम्हारे लिए---!

दीपावली आज हमारे जीवन में इतना रच-बस गया है की हमें पता ही नहीं की हम यह पर्व क्यों मनाते है इस त्यौहार पर प्रत्येक हिन्दू सर्वोत्तम मिठाई, पकवान बनाता, खाता है और बाटता भी है लक्ष्मी की पूजाकर उनका आवाहन भी करता है यह दीपावली  समृद्धि का त्यौहार है, प्रत्येक हिन्दू कुछ न कुछ खरीद दारी करना अपना कर्तब्य समझता है आखिर इस त्यौहार में ऐसा क्या है --? जिसमे भारत में अरबो रूपया का बज़ट बन जाता है, हम हज़ार वर्ष बाद आजाद हुए है हमें अपने त्योहारों को वैभवपूर्ण तरीके से मनाना चाहिए. आइये हम देखे की यह परंपरा कैसे पड़ी ऋग्वेद में लिखा है की ''अहम् भूमिमददामार्याय'' यानी हे आर्यों यह भूमि तुम्हारे लिए है इस नाते भगवान आते है इस धरती को राक्षसों से मुक्त करते है भगवान ने राक्षसों के लिए पाताल लोक दिया है राजा बलि त्रिलोक विजयी था बड़ा ही कुलीन प्रह्लाद जैसे महान भक्त राजा का पौत्र और महान दानी था, युद्ध में कोई उसे पराजित नहीं कर सकता था धरती तो आर्यों की यह कैसे मुक्त कराया जाय  भगवान विष्णु स्वयं महाराजा बलि से दान मांगने आते है वे बामन रूप में अतिसुन्दर सबको मोहने वाला बिना प्रभावित हुए कोई रह नहीं सकता था। बलि यज्ञ की आहुति पर बैठे ही थे कि ब्राहमण रूप में वे सामने उपस्थित हो गए देखते ही उनके गुरु शुक्राचार्य उन्हें पहचान गए उन्होंने राजा को दान देने से मना  किया लेकिन राज़ाबली दान का संकल्प ले चुके थे वे ब्राह्मण रूप भगवान से रक्षा सूत्र बधवा कर ( येन बद्धो बलीराजा दानवेंद्रो महाबला) दान का संकल्प लेकर कहा कि ब्राह्मण बालक मागो जो मागना हो वे साक्षात् विष्णु ही थे उन्होंने तीन ही मागा उनका स्वरुप बढ़ना शुरू हुआ देखतेे ही बनता था, ऐसा अद्भुत दृश्य जो राजा ने कभी नहीं देखा था। और क्षण भर में ढाई कदम में ही पूरी धरती नापली अब तीसरा पैर कहाँ रखे महादानी राजाबलि ने अपना सिर उनके आगे कर दिया, अपने वचनानुसार वामन भगवान पाताल राज्य में रहे गए, यह धरती तो आर्यों को मिल गयी लेकिन भगवान तो बलि के यहाँ स्वयं लक्ष्मी को राजा बलि से पुनः रक्षा सूत्र बांधकर भगवान विष्णु को देवलोक ले गयी, उस समय देवताओ और आर्यों ने जो उत्सव दीपावली मनाया तब से आज तक हम यह पर्व मना रहे है। 

भगवान राम का राज्याभिषेक-!

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने लंका विजय करके जब अयोध्या आते है और भरत ने जिस रामराज्य की स्थापना की थी उस वैभव पूर्ण अयोध्या में दीपावली यानी भारत की जनता ने मनाया, आखिर वह रामराज्य क्या था --? आज के युग में हम उसे "भरत अर्थशास्त्र" कह सकते है, भरत ने कैसा आदर्श समाज ब्यवस्था बनायीं जिसे रामराज्य कहा जाने लगा वह क्या था-? जहाँ भगवान श्रीराम ने राक्षसों से भारत भूमि को मुक्त कराया वहीँ १४वर्ष भरत ने अयोध्या की सामाजिक, आर्थिक ब्यवस्था बनाने के लिए तपस्या स्वरुप स्वीकार कर उन्होंने गांवो का भारत जो सामाजिक, आर्थिक दृष्टि से संपन्न, सभी जाति के लोगो को एक गावं बसाकर समरसता की आदर्श ब्यवस्था दी जिसमे नाऊ, धोबी, बढ़ई, पंसारी, तेली, कहार व अन्य पुरोहित यानी समाज में जिनकी आवश्यकता है सभी एक गावं में और कोई बेरोजगार नहीं सभी को अन्न के रूप में वर्ष भर के उपयोग हेतु ब्यवस्था, यह एक ऐसी ब्यवस्था लांखो वर्ष से चली आ रही है इस उत्कृष्ट ब्यास्वस्था बदलने के प्रयास को हमारा समाज स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है। समाज को टूटने की संभावना है, इस नाते भारतीय समाज दीपावली पर्व मनाकर अपने उस वैभव काल को याद करता है।

निरंतरता का सूत्र--!

त्यौहार हमारे इतिहास, अर्थशास्त्र, धर्म, संस्कृति, और परंपरा का प्रतिबिम्ब है, त्यौहार इस दृष्टि से समय की निरंतरता में संघर्ष भी है उस प्रवाह से संघर्ष है जिनमे बहुत कुछ पीछे रह जाता है, और बहुत कुछ नया साथ चलने लगता है लेकिन ये त्यौहार हमें एक साथ भूत, बर्तमान और फिर इसी निरंतरता से भविष्य को जोड़ते चलते है। सदियों से चले आ रहे त्योहारों में बहुत कुछ बदला है वक्त के साथ कई नै चीजे जुडी है बहुत सारी पुरानी चीजे विलुप्त हुई है फिर भी बहुत कुछ जस का तस हामारे त्योहारों में उभर आता है। लगता है की ये सब हमारे जीवन का हिस्सा है, दीपावली की हमारे परंपरा की खास भूमिका है और उसके पीछे गहरा दर्शन भी है स्वस्तिक बनाया जाना, शुभ-लाभ लिखा जाना, दीपक प्रत्येक घर-खेत में जलाया जाना, पुराने सिक्के और कलश ---ये सब पूजा के लिए अहम् है यह सब प्रकृति पूजा उस श्रोत के प्रति आभार ब्यक्त करना है मिटटी के दीपक का दो मतलब है एक प्रकाश और दूसरा मिटटी जीवन के महाभूतो में से एक है, यह हमारे इतिहास संस्कृति परंपरा को केवल याद ही नहीं दिलाती बल्कि हमें सुरक्षित भी करती है।
शुभ दीपावली पर सभी बंधुओ को शुख, समृद्धि और शांति के साथ हार्दिक बधाई-----।          

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4 टिप्पणियाँ

  1. बहुत बढिया । आपको दीपावली की शुभकामनायें

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  2. पञ्च दिवसीय दीपोत्सव की शुभकामनायें और बधाइयां

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  3. दीपावली की शुभकामनाएं

    दीपावली के पौराणिक जानकारी देने के लिए आपका आभार।

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  4. आज भी समरसता ही सही मायने मे रामराज होगी।
    🙏🙏

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