गोशाला ध्यान फाउंडेशन
भारतीय संस्कृति और भारत
जब हम किसी देश की बात करते हैं तो उसकी सुरक्षा उसके विकास की भी बात होती है तब हमें ध्यान में आता है कि बिना संस्कृति और बिना धर्म की सुरक्षा के देश की सुरक्षा नहीं हो सकती। कभी विधर्मियों से भाई चारे की भी बात होती है लेकिन क्या भाई चारा संभव है? हम भारतीय संस्कृति को मानने वाले जिसको माँ मानते हैं वे उसे अपना खाद्य सामग्री मानते हैं ये भाई हैं और हिंदू समाज उनका चारा। हिन्दू संस्कृति का मुख्य अंग गाय है जिसे सारा हिंदू समाज अपनी माँ मानता है अब हम यह समझ सकते हैं कि गाय हमारी माता क्यों हैं ? ऐसी मान्यता है कि गाय माँ के शरीर में तैतिस कोटि देवता वास करते हैं यानी एक गाय पालने से कितना लाभ? गाय हमारी प्रत्येक आवस्यकता की पूर्ति करती है प्रथम गाय के दूध से विभिन्न प्रकार के खाद्य सामग्री बनती है। उसके बछड़े से खेतीकी जाती है जिससे अन्न का उत्पादन होता है, गाय के गोबर से खाद, गोमूत्र से औषधि यहाँ तक कि असाध्य रोग जैसे कैंसर जैसे रोगों की दवा गोवंश द्वारा बनाया जाता है, यदि यह कहा जाय कि मनुष्य का जीवन गाय पर निर्भर है तो कोई अतिसयोक्ति नहीं होगा।
गोरक्षा और मालवीय जी
काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के संस्थापक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्वदेशी आग्रही महामना मदनमोहन मालवीय ने कहा था ------------!
ग्रामे ग्रामे कथा कार्ये, ग्रामे ग्रामे कथा शुभा।
पाठ शाला मल्ल शाला, प्रतिपर्व महोत्सव :।।
मालवीय जी सारे देश को खड़ा करना चाहते थे लेकिन भारतीय संस्कृति के आधार पर इसलिए वे वैदिक कालीन ब्यवस्था के पक्षधर थे। जिसमें प्रत्येक गांव में गुरुकुल थे जहाँ प्रत्येक घर में गाय पाली जाती थी। मालवीय जी बड़े दूरदर्शी थे वे जानते थे कि आने वाले समय में हिन्दू समाज घर में गाय नहीं पालेगा इसलिए उन्होंने गुरुकुल और गौशाला की बात किया वे चाहते थे "एक लाख गायों की गौशाला और एक लाख बच्चों का गुरुकुल हो।" आखिर ये उनका संकल्प कौन पूरा करेगा? क्या हम हिंदू समाज को ये मालवीय जी का सन्देश पंहुचा सकते हैं! यदि यह कार्य करने का संकल्प हम देशवासी ले सकते हैं तो मालवीय जी की भावनाओं का आदर करेंगे।
मेरा टाटा जमशेदपुर प्रवास
मैं जमशेदपुर प्रवास पर था विभाग की बैठक थी, घाटशिला के एक कार्यकर्ता ने किसी विषय पर चर्चा करते हुए बताया कि वहां एक गौशाला है जिसमें कोई बीस हज़ार गाएं हैं जो वहां स्थानीय हवाई अड्डे पर चलता है। यह सुनकर मुझे उसे देखने की उत्सुकता हुई मैंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा जब भी मेरा दुबारा प्रवास हो तो गौशाला में अवश्य लें चलें। ऐसा ही हुआ मै चुनाव के समय मतदाता जागरूकता अभियान के तहत दो नवम्बर 2024 को जमशेदपुर प्रवास पर गया। तीन नवम्बर को प्रवास पर मेरे साथ प्रान्त निधि प्रमुख श्री अनिल काबरा भी घाटशिला गए, पूर्वी सिंहभूमि जिले घाटशिला में चकुलिया गांव में एयर पोर्ट पर ये गौशाला स्थित है। गौशाला को सम्हालने का कार्य डॉ शालिनी जो मुंबई से हैं और ध्यान फाउंडेशन से जुड़ी हुई हैं से भेंट हुई। उन्होंने गौशाला की पुरी कहानी का वर्णन किया।
गोलोक
मेरे साथ स्थानीय जो गौशाला से जुड़े हुए हैं विक्की रूँगटा, भारत रूंगटा और विनय रूंगटा भी थे, वहां जो लोगों ने जो बताया बहुत आश्चर्य जनक था। वहां से कोई किसी नहर व नदी से बिधर्मी गायों की तस्करी करते हैं उन्हें केवल बिहार व झारखण्ड से पश्चिम बंगाल को पार कराना रहता है वे गायों को नशीली दवा इंजेक्शन देकर बेहोस कर देते हैं गायों के पैर भी तोड़ देते हैं आधे को तो अधमरा कर देते हैं और स्थानीय नदी में डाल देते हैं वह गाय लुढ़कते लुढ़कते गंगा जी में जाकर पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश पंहुचा दी जाती है। कभी -कभी ट्रकों में पसाच -सौ गायों को जैसे तैसे भरकर उनके पैर इत्यादि तोड़कर ट्रक में लादकर बार्डर पार कर देते हैं। बीएसफ को जब ये ध्यान में आया उन्होंने पकड़ना शुरू किया 2018 मे लगभग दो सौ गाय पकड़ी गई, अब गायों को कहाँ ले जाया जाय कोई गौशाला लेने को तैयार नहीं सरकारी गोशालाओ की हालत तो बहुत खराब अब क्या करना! अब सभी को हवाई अड्डा हीं दिखाई दिया गायों को रखना शुरू हो गया स्थानीय गांव वालों ने सेवा शुरू कर दिया अब केवल सेबा ही नहीं तो गायों की दवा की भी आवस्यकता है। ये समाचार किसी तरह ईश्वर ने ध्यान फाउंडेशन को पहुंचाया और ध्यान फाउंडेशन ने यह वीड़ा उठाया की हम गोसेवा करेंगे तभी मुम्बई की प्रख्यात डॉक्टर डॉ शालिनी ने संकल्पित होकर मुम्बई से चाकुलिया गांव में आ गई, वे अति सज्जन है मान सम्मान की कोई भूख नहीं है सामान्य जीवन गायों के साथ बिता रही हैं गऊवें उन्हें देखकर आवाज देती हैं उनके बुलाने पर आ जाती हैं जिससे गायों के प्रति उनका प्रेम दिखाई देता है।
चाकुलिया गौशाला
ध्यान फाउंडेशन के अनेक कार्य होंगे लेकिन उनका जो मुख्य कार्य दिखाई देता है वह गौशालाओ का है देश के प्रमुख स्थानों पर जैसे कोलकाता, त्रिपुरा, दिल्ली छैथरा गौशाला कर्नाटक इत्यादि गौशालाये है ये हो सकता है कि मुझे इनकी बहुत गतिविधियों कि जानकारी नहीं हो लेकिन मेरे जानकारी मेरे गायों पर काम जिससे मैं बहुत प्रभावित हुआ। चाकुलिया गौशाला 2018 में शुरू हुआ आज जिसमें बीस हज़ार गायें हैं जो बीएसफ के जवान रेस्कीयू करके लाते हैं अथवा अन्य बिहार अथवा झारखण्ड कहीं भी गायों को गो रक्षक पकड़ते हैं उनकी सुरक्षा सेवा चाकुलिया गौशाला में ही होती है यहाँ केवल गाये रखी ही नहीं जाती है तो उनकी दवाई, सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाता है लगभग सभी गाएं घायल, बेहोसी हालत में रहती हैं उनके लिए पशु डॉक्टर लगे रहते हैं। गौशाला में लगभग चार सौ कर्मचारी हैं जो गायों की देख भाल करते हैं। सभी को बेतन दिया जाता है स्थानीय गाओं के लोग भी गोसेवा के लिए आते रहते हैं। यहाँ गायों का एक बड़ा हॉस्पिटल बन रहा है जो लगभग दो एकड़ में फैला हुआ है, हॉस्पिटल के पास ट्रेक्टर है जिससे घायल गायों को गौशालाओं से हॉस्पिटल तक लाया जाता है। डॉ शालिनी ने बताया कि गाये बच्चा देती हैं लेकिन उनसे दूध निकाला नहीं जाता उनके दूध पर उनके बच्चों का ही है यदि गाय का बच्चा मर गया तो दूसरी गाय का बछड़ा उसका दूध पियेगा ऐसे ब्यवस्था इस गौशाला में है। गौशाला के प्रतिदिन का जो खर्चा है वह लगभग नौ लाख रूपये प्रतिदिन का है। पूरे एयरपोर्ट पर गौशाला पांच खंडो में बटा हुआ है जहाँ एक एक गौशाला में चार से पांच हज़ार गाय रहती हैं।
डॉ शालिनी
डॉ शालिनी का ब्यक्तित्व सामान्य समाज को प्रभावित करने वाला है वे बड़ी डाक्टर होते हुए बहुत सामान्य जीवन जीती हैं उन्हें देखने के पश्चात् उनके ब्यक्तित्व के बारे में नहीं जान सकते प्रचार प्रसार से दूर बिना बोले ही आप उन्हें पढ़ सकते हैं उन्होंने संकल्प लिया है कि इस गौशाला को एक लाख गायों की गौशाला बनाना है और मेरा जीवन इसी गौशाला को समर्पित है अंतिम सांस तक मैं यहाँ गो सेवा में अपना जीवन ब्यतीत करुँगी। आप धन्य हैं ईश्वर आपकी रक्षा और अपना आशीर्वाद बनाये रखें यही प्रार्थना।
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