हिन्दू समाज के रक्षक डॉ अम्बेडकर. जन्म दिन पर विशेष--------.

          भीमराव राम जी अम्बेडकर भारत और हिंदुत्व के सच्चे सपूत थे वे छुवा-छूत के निवारण के लिए सारा जीवन लगा दिया वे महान अधिबक्ता भारत माता के सपूत स्वतंत्रता सेनानी थे वे चाहते तो कोई भी पद प्राप्त कर सकते थे एक जन -एक राष्ट्र में विस्वास रखने वाले थे। देश बिभाजन के सख्त बिरोधी थे, राष्ट्रबादी भी थे जब वे तथा-कथित हिन्दू समाज की कुरीतियों के खिलाफ खड़े हुए तो उन पर हैदराबाद के नबाब ने एक लाख रूपया और आधी जागीर तथा अपनी लड़की की शादी करने की पेस- कस की, इतना ही नहीं ईसाईयों ने भी उन्हें लालच दिया कि वे ईशाई हो जाये जिससे लाखो उनके अनुयायी भी उनके साथ चले जाये लेकिन डा. भीम राव अम्बेडकर ने कहा मै अपने भारतीय धर्म में ही सामिल होकर भारतीय मिटटी में ही संघर्ष करुगा, नहीं तो भारतीय धर्म छोड़ने के पश्चात् भारतीय न होकर वह विदेशी भूमि के प्रति अनुराग हो जाता है अम्बेडकर ने देश हित का बिचार करते हुए स्वधर्म को अपनाया बिधर्मी नहीं हुए।
       कुछ लोगो ने अपने राजनैतिक स्वार्थ बश डा. अम्बेडकर जी जैसे महान ब्यक्तित्व को एक छोटे से दायरे में बाधने का असफल प्रयास किया वह उचित नहीं बल्कि उनका अपमान है। अपमान और कष्ट भरे हुए जीवन को झेलते हुए कुछ नाराजगी के शब्द उनके मुख निकलना स्वाभाविक ही है उन शब्दों को सुनकर ऊँची कहे जाने वाली जातियों को नाराज नहीं होना चाहिए। परन्तु इसका यह भी अर्थ नहीं कि जिन बातो से  समाज में दूरी बढ़ने वाली है उन्ही शब्दों को बार-बार लिखा या बोला जाय, जो समाज में जोड़ने के लिए आवस्यक है। उन बातो को विशेष रूप से ध्यान देने से ही डा. अम्बेडकर का स्वप्न पूरा हो सकेगा वे इस्लाम और ईसाइयत के बारे में जानते थे की उनका भारतीय समाज अति सम्बेदन -शील होने के कारन अपने समाज को बचाने के लिए उन्होंने ये मार्ग चुना  और दीक्षा भूमि नागपुर में अपने अनुयायियों के साथ १९५५ में बौद्ध धर्म को स्वीकार किया, वे राष्ट्रबाद के उचित स्वरुप को लागू करना चाहते थे इस नाते उन्होंने इस्लाम और चर्च के देशद्रोही स्वरुप को भी समय-समय पर उजागर किया और समाज को बचाने का प्रयास किया ।    

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ

  1. डगर पनघट की कठिन बहुत है। कठिन होने के बावजूद लोग न सिर्फ़ इस पर चलते हैं बल्कि सरपट दौड़ते हैं।
    इसी भागदौड़ में लोग बाग ठोकर खाकर गिर रहे हैं .
    एक संजीदा नसीहत और मनोरंजन भी -
    Padharen -
    http://drayazahmad.blogspot.in/2012/04/blog-post_14.html

    जवाब देंहटाएं
  2. samay-samay par yaha mahapurusho ki shrinkhala ne dharm ko bachaya---------.

    जवाब देंहटाएं